प्रवरं प्रभुमव्ययरूपमजं
हरिकेशमपारकृपाजलधिम्|
अभिवाद्यमनामयमाद्यसुरं
भज रे बृहदीश्वरमार्तिहरम्|
रविचन्द्रकृशानुसुलोचन-
मम्बिकया सहितं जनसौख्यकरम्|
बहुचोलनृपालनुतं विबुधं
भज रे बृहदीश्वरमार्तिहरम्|
हिमपर्वतराजसुतादयितं
हिमरश्मिविभूषितमौलिवरम्|
हतपापसमूहमनेकतनुं
भज रे बृहदीश्वरमार्तिहरम्|
हरिकेशममोघकरं सदयं
परिरञ्जितभक्तहृदम्बुरुहम्|
सुरदैत्यनतं मुनिराजनुतं
भज रे बृहदीश्वरमार्तिहरम्|
त्रिपुरान्तकरूपिणमुग्रतनुं
महनीयमनोगतदिव्यतमम्|
जगदीश्वरमागमसारभवं
भज रे बृहदीश्वरमार्तिहरम्|
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