भो शम्भो शिव शम्भो स्वयंभो
गङ्गाधर शङ्कर करुणाकर मामव भवसागरतारक
निर्गुणपरब्रह्मस्वरूप गमागमभूत प्रपञ्चरहित
निजगुणनिहित नितान्त अनन्त
आनन्द अतिशय अक्षयलिङ्ग
धिमित धिमित धिमि धिमि किट किट तों
तों तों तरिकिट तरिकिट किट तों
मतङ्गमुनिवरवन्दित-ईश सर्वदिगम्बरवेष्टितवेष
नित्य निरञ्जन नित्यनटेश ईश सभेश सर्वेश
पद्मनाभ स्तोत्र
विश्वं दृश्यमिदं यतः समयवद्यस्मिन्य एतत् पुनः भासा यस्....
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अरविन्दगन्धिवदनां श्रुतिप्रियां सकलागमांशकरपुस्तकान....
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