मृत्युञ्जयाय गिरिशाय सुशङ्कराय
सर्वेश्वराय शशिशेखरमण्डिताय।
माहेश्वराय महिताय महानटाय
सर्वातिनाशनपराय नमः शिवाय।
ज्ञानेश्वराय फणिराजविभूषणाय
शर्वाय गर्वदहनाय गिरां वराय।
वृक्षाधिपाय समपापविनाशनाय
सर्वातिनाशनपराय नमः शिवाय।
श्रीविश्वरूपमहनीय- जटाधराय
विश्वाय विश्वदहनाय विदेहिकाय।
नेत्रे विरूपनयनाय भवामृताय
सर्वातिनाशनपराय नमः शिवाय।
नन्दीश्वराय गुरवे प्रमथाधिपाय
विज्ञानदाय विभवे प्रमथाधिपाय।
श्रेयस्कराय महते त्रिपुरान्तकाय
सर्वातिनाशनपराय नमः शिवाय।
भीमाय लोकनियताय सदाऽनघाय
मुख्याय सर्वसुखदाय सुखेचराय।
अन्तर्हितात्म- निजरूपभवाय तस्मै
सर्वातिनाशनपराय नमः शिवाय।
साध्याय सर्वफलदाय सुरार्चिताय
धन्याय दीनजनवृन्द- दयाकराय।
घोराय घोरतपसे च दिगम्बराय
सर्वातिनाशनपराय नमः शिवाय।
व्योमस्थिताय जगताममितप्रभाय
तिग्मांशुचन्द्रशुचि- रूपकलोचनाय।
कालाग्निरुद्र- बहुरूपधराय तस्मै
सर्वातिनाशनपराय नमः शिवाय।
उग्राय शङ्करवराय गताऽगताय
नित्याय देवपरमाय वसुप्रदाय।
संसारमुख्यभव- बन्धनमोचनाय
सर्वातिनाशनपराय नमः शिवाय।
सर्वार्तिनाशनपरं सततं जपेयुः
स्तोत्रं शिवस्य परमं फलदं प्रशस्तम्।
ते नाऽप्नुवन्ति च कदाऽपि रुजं च घोरं
नीरोगतामपि लभेयुररं मनुष्याः।
शिव अष्टोत्तर शतनामावलि
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