गणनायक पंचक स्तोत्र

परिधीकृतपूर्ण- जगत्त्रितय-
प्रभवामलपद्मदिनेश युगे।
श्रुतिसागर- तत्त्वविशालनिधे
गणनायक भोः परिपालय माम्।
स्मरदर्पविनाशित- पादनखा-
ग्र समग्रभवाम्बुधि- पालक हे।
सकलागममग्न- बृहज्जलधे
गणनायक भोः परिपालय माम्।
रुचिरादिममाक्षिक- शोभित सु-
प्रियमोदकहस्त शरण्यगते।
जगदेकसुपार- विधानविधे
गणनायक भोः परिपालय माम्।
सुरसागरतीरग- पङ्कभव-
स्थितनन्दन- संस्तुतलोकपते।
कृपणैकदया- परभागवते
गणनायक भोः परिपालय माम्।
सुरचित्तमनोहर- शुभ्रमुख-
प्रखरोर्जित- सुस्मितदेवसखे।
गजमुख्य गजासुरमर्दक हे
गणनायक भोः परिपालय माम्।

 

Ramaswamy Sastry and Vighnesh Ghanapaathi

Other stotras

Copyright © 2024 | Vedadhara | All Rights Reserved. | Designed & Developed by Claps and Whistles
| | | | |