गणेश मंगल मालिका स्तोत्र

श्रीकण्ठप्रेमपुत्राय गौरीवामाङ्कवासिने।
द्वात्रिंशद्रूपयुक्ताय श्रीगणेशाय मङ्गलम्।
आदिपूज्याय देवाय दन्तमोदकधारिणे।
वल्लभाप्राणकान्ताय श्रीगणेशाय मङ्गलम्।
लम्बोदराय शान्ताय चन्द्रगर्वापहारिणे।
गजाननाय प्रभवे श्रीगणेशाय मङ्गलम्।
पञ्चहस्ताय वन्द्याय पाशाङ्कुशधराय च।
श्रीमते गजकर्णाय श्रीगणेशाय मङ्गलम्।
द्वैमातुराय बालाय हेरम्बाय महात्मने।
विकटायाखुवाहाय श्रीगणेशाय मङ्गलम्।
पृश्निशृङ्गायाजिताय क्षिप्राभीष्टार्थदायिने।
सिद्धिबुद्धिप्रमोदाय श्रीगणेशाय मङ्गलम्।
विलम्बियज्ञसूत्राय सर्वविघ्ननिवारिणे।
दूर्वादलसुपूज्याय श्रीगणेशाय मङ्गलम्।
महाकायाय भीमाय महासेनाग्रजन्मने।
त्रिपुरारिवरोद्धात्रे श्रीगणेशाय मङ्गलम्।
सिन्दूररम्यवर्णाय नागबद्धोदराय च।
आमोदाय प्रमोदाय श्रीगणेशाय मङ्गलम्।
विघ्नकर्त्रे दुर्मुखाय विघ्नहर्त्रे शिवात्मने।
सुमुखायैकदन्ताय श्रीगणेशाय मङ्गलम्।
समस्तगणनाथाय विष्णवे धूमकेतवे।
त्र्यक्षाय फालचन्द्राय श्रीगणेशाय मङ्गलम्।
चतुर्थीशाय मान्याय सर्वविद्याप्रदायिने।
वक्रतुण्डाय कुब्जाय श्रीगणेशाय मङ्गलम्।
धुण्डिने कपिलाख्याय श्रेष्ठाय ऋणहारिणे।
उद्दण्डोद्दण्डरूपाय श्रीगणेशाय मङ्गलम्।
कष्टहर्त्रे द्विदेहाय भक्तेष्टजयदायिने।
विनायकाय विभवे श्रीगणेशाय मङ्गलम्।
सच्चिदानन्दरूपाय निर्गुणाय गुणात्मने।
वटवे लोकगुरवे श्रीगणेशाय मङ्गलम्।
श्रीचामुण्डासुपुत्राय प्रसन्नवदनाय च।
श्रीराजराजसेव्याय श्रीगणेशाय मङ्गलम्।

 

Ramaswamy Sastry and Vighnesh Ghanapaathi

Other stotras

Copyright © 2024 | Vedadhara | All Rights Reserved. | Designed & Developed by Claps and Whistles
| | | | |