कृता नैव पूजा मया भक्त्यभावात्
प्रभो मन्दिरं नैव दृष्टं तवैकम्|
क्षमाशील कारुण्यपूर्ण प्रसीद
समस्तापराधं क्षमस्वैकदन्त|
न पाद्यं प्रदत्तं न चार्घ्यं प्रदत्तं
न वा पुष्पमेकं फलं नैव दत्तम्|
गजेशान शम्भोस्तनूज प्रसीद
समस्तापराधं क्षमस्वैकदन्त|
न वा मोदकं लड्डुकं पायसं वा
न शुद्धोदकं तेऽर्पितं जातु भक्त्या|
सुर त्वं पराशक्तिपुत्र प्रसीद
समस्तापराधं क्षमस्वैकदन्त|
न यागः कृतो नोपवासश्चतुर्थ्यां
न वा तर्पनार्थं जलं चार्पितं ते|
विभो शाश्वत श्रेष्ठदेव प्रसीद
समस्तापराधं क्षमस्वैकदन्त|
प्रसीद प्रसीद प्रभो विघ्नराज
प्रसीद प्रसीद प्रभो लोकनाथ|
प्रसीद प्रसीद प्रभो देवमुख्य
समस्तापराधं क्षमस्वैकदन्त|
हनुमान अष्टोत्तर शतनामावलि
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