Special Homa on Gita Jayanti - 11, December

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विष्णु अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र

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वेदधारा ने मेरी सोच बदल दी है। 🙏 -दीपज्योति नागपाल

सनातन धर्म के भविष्य के लिए वेदधारा का योगदान अमूल्य है 🙏 -श्रेयांशु

आप लोग वैदिक गुरुकुलों का समर्थन करके हिंदू धर्म के पुनरुद्धार के लिए महान कार्य कर रहे हैं -साहिल वर्मा

सनातन धर्म के भविष्य के लिए वेदधारा के नेक कार्य से जुड़कर खुशी महसूस हो रही है -शशांक सिंह

यह वेबसाइट ज्ञान का अद्वितीय स्रोत है। -रोहन चौधरी

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सशङ्खचक्रं सकिरीटकुण्डलं
सपीतवस्त्रं सरसीरुहेक्षणम्।
सहारवक्षस्थलकौस्तुभश्रियं
नमामि विष्णुं शिरसा चतुर्भुजम्।
अष्टोत्तरशतं नाम्नां विष्णोरतुलतेजसः।
यस्य श्रवणमात्रेण नरो नारायणो भवेत्।
विष्णुर्जिष्णुर्वषट्कारो देवदेवो वृषाकपिः।
दामोदरो दीनबन्धुरादि- देवोऽदितेः सुतः।
पुण्डरीकः परानन्दः परमात्मा परात्परः।
परशुधारी विश्वात्मा कृष्णः कलिमलापहः।
कौस्तुभोद्भासितोरस्को नरो नारायणो हरिः।
हरो हरप्रियः स्वामी वैकुण्ठो विश्वतोमुखः।
हृषीकेशोऽप्रमेयात्मा वराहो धरणीधरः।
वामनो वेदवक्ता च वासुदेवः सनातनः।
रामो विरामो विरतो रावणारी रमापतिः।
वैकुण्ठवासी वसुमान् धनदो धरणीधरः।
धर्मेशो धरणीनाथो ध्येयो धर्मभृतां वरः।
सहस्रशीर्षा पुरुषः सहस्राक्षः सहस्रपात्।
सर्वगः सर्ववित् सर्वशरण्यः साधुवल्लभः।
कौसल्यानन्दनः श्रीमान् दक्षः कुलविनाशकः।
जगत्कर्ता जगद्भर्ता जगज्जेता जनार्तिहा।
जानकीवल्लभो देवो जयरूपो जलेश्वरः।
क्षीराब्धिवासी क्षीराब्धितनयावल्लभस्तथा।
शेषशायी पन्नगारिवाहनो विष्टरश्रवाः।
माधवो मधुरानाथो मोहदो मोहनाशनः।
दैत्यारिः पुण्डरीकाक्षो ह्यच्युतो मधुसूदनः।
सोमसूर्याग्निनयनो नृसिंहो भक्तवत्सलः।
नित्यो निरामयः शुद्धो नरदेवो जगत्प्रभुः।
हयग्रीवो जितरिपुरुपेन्द्रो रुक्मिणीपतिः।
सर्वदेवमयः श्रीशः सर्वाधारः सनातनः।
सौम्यः सौख्यप्रदः स्रष्टा विश्वक्सेनो जनार्दनः।
यशोदातनयो योगी योगशास्त्रपरायणः।
रुद्रात्मको रुद्रमूर्ती राघवो मधुसूदनः।
इति ते कथितं दिव्यं नाम्नामष्टोत्तरं शतम्।
सर्वपापहरं पुण्यं विष्णोरमिततेजसः।
दुःखदारिद्र्यदौर्भाग्य- नाशनं सुखवर्धनम्।
प्रातरुत्थाय विप्रेन्द्र पठेदेकाग्रमानसः।
तस्य नश्यन्ति विपदां राशयः सिद्धिमाप्नुयात्।

 

Ramaswamy Sastry and Vighnesh Ghanapaathi

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