प्रतिभटश्रेणिभीषण वरगुणस्तोमभूषण।
जनिभयस्थानतारण जगदवस्थानकारण।
निखिलदुष्कर्मकर्षण निगमसद्धर्मदर्शन।
जय जय श्रीसुदर्शन जय जय श्रीसुदर्शन।
शुभजगद्रूपमण्डन सुरगणत्रासखण्डन।
शतमखब्रह्मवन्दित शतपथब्रह्मनन्दित।
प्रथितविद्वत्सपक्षित भजदहिर्बुध्न्यलक्षित।
जय जय श्रीसुदर्शन जय जय श्रीसुदर्शन।
स्फुटतटिज्जालपिञ्जर पृथुतरज्वालपञ्जर।
परिगतप्रत्नविग्रह परिमितप्रज्ञदुर्ग्रह।
प्रहरणग्राममण्डित परिजनत्राणपण्डित।
जय जय श्रीसुदर्शन जय जय श्रीसुदर्शन।
निजपदप्रीतसद्गण निरुपधिस्फीतषड्गुण।
निगमनिर्व्यूढवैभव निजपरव्यूहवैभव।
हरिहयद्वेषिदारण हरपुरप्लोषकारण।
जय जय श्रीसुदर्शन जय जय श्रीसुदर्शन।
दनुजविस्तारकर्तन जनितमिस्राविकर्तन।
दनुजविद्यानिकर्तन भजदविद्यानिवर्तन।
अमरदृष्टस्वविक्रम समरजुष्टभ्रमिक्रम।
जय जय श्रीसुदर्शन जय जय श्रीसुदर्शन।
प्रतिमुखालीढबन्धुर पृथुमहाहेतिदन्तुर।
विकटमायाबहिष्कृत विविधमालापरिष्कृत।
स्थिरमहायन्त्रतन्त्रित दृढदयातन्त्रयन्त्रित।
जय जय श्रीसुदर्शन जय जय श्रीसुदर्शन।
महितसम्पत्सदक्षर विहितसम्पत्षडक्षर।
षडरचक्रप्रतिष्ठित सकलतत्त्वप्रतिष्ठित।
विविधसङ्कल्पकल्पक विबुधसङ्कल्पकल्पक।
जय जय श्रीसुदर्शन जय जय श्रीसुदर्शन।
भुवननेत्रत्रयीमय सवनतेजस्त्रयीमय।
निरवधिस्वादुचिन्मय निखिलशक्ते जगन्मय।
अमितविश्वक्रियामय शमितविश्वग्भयामय।
जय जय श्रीसुदर्शन जय जय श्रीसुदर्शन।
द्विचतुष्कमिदं प्रभूतसारं
पठतां वेङ्कटनायकप्रणीतम्।
विषमेऽपि मनोरथः प्रधावन्
न विहन्येत रथाङ्गधुर्यगुप्तः।
ललिता अपराध क्षमापण स्तोत्र
श्रीपुरवासिनि हस्तलसद्वरचामरवाक्कमलानुते श्रीगुहपूर....
Click here to know more..विष्णु पंचक स्तोत्र
उद्यद्भानुसहस्रभास्वर- परव्योमास्पदं निर्मल- ज्ञानानन....
Click here to know more..त्रिगुणों के स्वभाव