गरुड गमन तव

गरुडगमन तव चरणकमलमिह मनसि लसतु मम नित्यम्।
मम तापमपाकुरु देव।
मम पापमपाकुरु देव।
जलजनयन विधिनमुचिहरणमुख विबुधविनुतपदपद्म।
मम तापमपाकुरु देव।
मम पापमपाकुरु देव।
भुजगशयन भव मदनजनक मम जननमरणभयहारी।
मम तापमपाकुरु देव।
मम पापमपाकुरु देव।
शङ्खचक्रधर दुष्टदैत्यहर सर्वलोकशरण।
मम तापमपाकुरु देव।
मम पापमपाकुरु देव।
अगणितगुणगण अशरणशरणद विदलितसुररिपुजाल।
मम तापमपाकुरु देव।
मम पापमपाकुरु देव।
भक्तवर्यमिह भूरिकरुणया पाहि भारतीतीर्थम्।
मम तापमपाकुरु देव।
मम पापमपाकुरु देव।

 

 

 

Ramaswamy Sastry and Vighnesh Ghanapaathi

Other stotras

Copyright © 2024 | Vedadhara | All Rights Reserved. | Designed & Developed by Claps and Whistles
| | | | |