वेंकटाचलपति स्तुति

शेषाद्रिनिलयं शेषशायिनं विश्वभावनम्|
भार्गवीचित्तनिलयं वेङ्कटाचलपं नुमः|
अम्भोजनाभमम्भोधिशायिनं पद्मलोचनम्|
स्तम्भिताम्भोनिधिं शान्तं वेङ्कटाचलपं नुमः|
अम्भोधिनन्दिनी- जानिमम्बिकासोदरं परम्|
आनीताम्नायमव्यक्तं वेङ्कटाचलपं नुमः|
सोमार्कनेत्रं सद्रूपं सत्यभाषिणमादिजम्|
सदसज्ज्ञानवेत्तारं वेङ्कटाचलपं नुमः|
सत्त्वादिगुणगम्भीरं विश्वराजं विदां वरम्|
पुण्यगन्धं त्रिलोकेशं वेङ्कटाचलपं नुमः|
विश्वामित्रप्रियं देवं विश्वरूपप्रदर्शकम्|
जयोर्जितं जगद्बीजं वेङ्कटाचलपं नुमः|
ऋग्यजुःसामवेदज्ञं रविकोटिसमोज्ज्वलम्|
रत्नग्रैवेयभूषाढ्यं वेङ्कटाचलपं नुमः|
दिग्वस्त्रं दिग्गजाधीशं धर्मसंस्थापकं ध्रुवम्|
अनन्तमच्युतं भद्रं वेङ्कटाचलपं नुमः|
श्रीनिवासं सुरारातिद्वेषिणं लोकपोषकम्|
भक्तार्तिनाशकं श्रीशं वेङ्कटाचलपं नुमः|
ब्रह्माण्डगर्भं ब्रह्मेन्द्रशिववन्द्यं सनातनम्|
परेशं परमात्मानं वेङ्कटाचलपं नुमः|

 

Ramaswamy Sastry and Vighnesh Ghanapaathi

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