वेदव्यास अष्टक स्तोत्र

सुजने मतितो विलोपिते निखिले गौतमशापतोमरैः।
कमलासनपूर्वकैस्स्ततो मतिदो मेस्तु स बादरायणः।
विमलोऽपि पराशरादभूद्भुवि भक्ताभिमतार्थ सिद्धये।
व्यभजद् बहुधा सदागमान् मतिदो मेस्तु स बादरायणः।
सुतपोमतिशालिजैमिनि- प्रमुखानेकविनेयमण्डितः।
उरुभारतकृन्महायशा मतिदो मेस्तु स बादरायणः।
निखिलागमनिर्णयात्मकं विमलं ब्रह्मसुसूत्रमातनोत्।
परिहृत्य महादुरागमान् मतिदो मेस्तु स बादरायणः।
बदरीतरुमण्डिताश्रमे सुखतीर्थेष्टविनेयदेशिकः।
उरुतद्भजनप्रसन्नहृन्मतिदो मेस्तु स बादरायणः।
अजिनाम्बररूपया क्रियापरिवीतो मुनिवेषभूषितः।
मुनिभावितपादपङ्कजो मतिदो मेस्तु स बादरायणः।
कनकाभजटो रविच्छविर्मुखलावण्यजितेन्दुमण्डलः।
सुखतीर्थदयानिरीक्षणो मतिदो मेस्तु स बादरायणः।
सुजनोद्धरणक्षणस्वकप्रतिमाभूतशिलाष्टकं स्वयम्।
परिपूर्णधिये ददौ हि यो मतिदो मेस्तु स बादरायणः।
वेदव्यासाष्टकस्तुत्या मुद्गलेन प्रणीतया।
गुरुहृत्पद्मसद्मस्थो वेदव्यासः प्रसीदतु।

 

Ramaswamy Sastry and Vighnesh Ghanapaathi

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