अञ्जनागर्भजाताय लङ्काकाननवह्नये |
कपिश्रेष्ठाय देवाय वायुपुत्राय मङ्गलम् |
जानकीशोकनाशाय जनानन्दप्रदायिने |
अमृत्यवे सुरेशाय रामेष्टाय सुमङ्लम् |
महावीराय वेदाङ्गपारगाय महौजसे |
मोक्षदात्रे यतीशाय ह्याञ्जनेयाय मङ्गलम् |
सत्यसन्धाय शान्ताय दिवाकरसमत्विषे |
मायातीताय मान्याय मनोवेगाय मङ्गलम् |
शरणागतसुस्निग्धचेतसे कर्मसाक्षिणे |
भक्तिमच्चित्तवासाय वज्रकायाय मङ्गलम् |
अस्वप्नवृन्दवन्द्याय दुःस्वप्नादिहराय च |
जितसर्वारये तुभ्यं रामदूताय मङ्गलम् |
अक्षहन्त्रे जगद्धर्त्रे सुग्रीवादियुताय च |
विश्वात्मने निधीशाय रामभक्ताय मङ्गलम् |
लङ्घिताम्भोधये तुभ्यमुग्ररूपाय धीमते |
सतामिष्टाय सौम्याय पिङ्गलाक्षाय मङ्गलम् |
पुण्यश्लोकाय सिद्धाय व्यक्ताव्यक्तस्वरूपिणे |
जगन्नाथाय धन्याय वागधीशाय मङ्गलम् |
मङ्गलाशासनस्तोत्रं यः पठेत् प्रत्यहं मुदा |
हनूमद्भक्तिमाप्नोति मुक्तिं प्राप्नोत्यसंशयम् |
अष्टमूर्ति रक्षा स्तोत्र
हे शर्व भूरूप पर्वतसुतेश हे धर्म वृषवाह काञ्चीपुरीश। दव....
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प्रातः स्मरामि गणनाथमुखारविन्दं नेत्रत्रयं मदसुगन्धि....
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