अरुणारुण- लोचनमग्रभवं
वरदं जनवल्लभ- मद्रिसमम्।
हरिभक्तमपार- समुद्रतरं
हनुमन्तमजस्रमजं भज रे।
वनवासिनमव्यय- रुद्रतनुं
बलवर्द्धन- त्त्वमरेर्दहनम्।
प्रणवेश्वरमुग्रमुरं हरिजं
हनुमन्तमजस्रमजं भज रे।
पवनात्मजमात्मविदां सकलं
कपिलं कपितल्लजमार्तिहरम्।
कविमम्बुज- नेत्रमृजुप्रहरं
हनुमन्तमजस्रमजं भज रे।
रविचन्द्र- सुलोचननित्यपदं
चतुरं जितशत्रुगणं सहनम्।
चपलं च यतीश्वरसौम्यमुखं
हनुमन्तमजस्रमजं भज रे।
भज सेवितवारिपतिं परमं
भज सूर्यसम- प्रभमूर्ध्वगमम्।
भज रावणराज्य- कृशानुतमं
हनुमन्तमजस्रमजं भज रे।
भज लक्ष्मणजीवन- दानकरं
भज रामसखी- हृदभीष्टकरम्।
भज रामसुभक्त- मनादिचरं
हनुमन्तमजस्रमजं भज रे।
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