नमः श्रीकृष्णचन्द्राय परिपूर्णतमाय च।
असङ्ख्याण्डाधिपतये गोलोकपतये नमः।
श्रीराधापतये तुभ्यं व्रजाधीशाय ते नमः।
नमः श्रीनन्दपुत्राय यशोदानन्दनाय च।
देवकीसुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते।
यदूत्तम जगन्नाथ पाहि मां पुरुषोत्तम।
पूर्ण और सबसे श्रेष्ठ भगवान श्रीकृष्ण को नमस्कार।
असंख्य ब्रह्मांडों के अधिपति और गोलोक के स्वामी को प्रणाम।
श्रीराधा के पति और व्रज के स्वामी को प्रणाम।
नंद के पुत्र और यशोदा के आनंद को नमस्कार।
देवकी के पुत्र, गोविंद, वासुदेव और जगत के स्वामी को प्रणाम।
हे यदुवंश के श्रेष्ठ, जगन्नाथ, मुझ पर कृपा करो, हे पुरुषोत्तम।
सुनने या जप करने के लाभ:
1. मन की शांति: यह मन को शांत करता है और शांति लाता है।
2. भक्ति: भगवान श्रीकृष्ण के प्रति प्रेम और भक्ति बढ़ती है।
3. सुरक्षा: यह दिव्य सुरक्षा और आशीर्वाद लाने में सहायक होता है।
4. आध्यात्मिक विकास: यह भगवान से जुड़कर आध्यात्मिक रूप से उन्नति में सहायक होता है।
आस्था के साथ इसका जाप या श्रवण करने से जीवन में दिव्य कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होते हैं।
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