Atharva Veda Vijaya Prapti Homa - 11 November

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व्रजगोपी रमण स्तोत्र

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आपकी सेवा से सनातन धर्म का भविष्य उज्ज्वल है 🌟 -mayank pandey

जो लोग पूजा कर रहे हैं, वे सच में पवित्र परंपराओं के प्रति समर्पित हैं। 🌿🙏 -अखिलेश शर्मा

वेदधारा सनातन संस्कृति और सभ्यता की पहचान है जिससे अपनी संस्कृति समझने में मदद मिल रही है सनातन धर्म आगे बढ़ रहा है आपका बहुत बहुत धन्यवाद 🙏 -राकेश नारायण

वेदधारा ने मेरे जीवन में बहुत सकारात्मकता और शांति लाई है। सच में आभारी हूँ! 🙏🏻 -Pratik Shinde

वेदाधरा से हमें नित्य एक नयी उर्जा मिलती है ,,हमारे तरफ से और हमारी परिवार की तरफ से कोटिश प्रणाम -Vinay singh

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Vrajagopee Ramana Stotram

 

असितं वनमालिनं हरिं
धृतगोवर्धनमुत्तमोत्तमम्।
वरदं करुणालयं सदा
व्रजगोपीरमणं भजाम्यहम्।
पृथिवीपतिमव्ययं महा-
बलमग्र्यं नियतं रमापतिम्।
दनुजान्तकमक्षयं भृशं
व्रजगोपीरमणं भजाम्यहम्।
सदयं मधुकैटभान्तकं
चरिताशेषतपःफलं प्रभुम्।
अभयप्रदमादिजं मुदा
व्रजगोपीरमणं भजाम्यहम्।
महनीयमभद्रनाशकं
नतशोकार्त्तिहरं यशस्करम्।
मुरशत्रुमभीष्टदं हृदा
व्रजगोपीरमणं भजाम्यहम्।
अमरेन्द्रविभुं निरामयं
रमणीयाम्बुजलोचनं चिरम्।
मुनिभिः सततं नतं पुरा
व्रजगोपीरमणं भजाम्यहम्।
निगमागमशास्त्रवेदितं
कलिकाले भवतारणं सुरं
विधिशम्भुनमस्कृतं मुहु-
र्व्रजगोपीरमणं भजाम्यहम्।

 

Ramaswamy Sastry and Vighnesh Ghanapaathi

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