आदित्यः प्रथमं नाम द्वितीयं तु दिवाकरः।
तृतीयं भास्करः प्रोक्तं चतुर्थं तु प्रभाकरः।
पञ्चमं तु सहस्रांशुः षष्ठं त्रैलोक्यलोचनः।
सप्तमं हरिदश्वश्च ह्यष्टमं च विभावसुः।
दिनेशो नवमं प्रोक्तो दशमं द्वादशात्मकः।
एकादशं त्रयीमूर्तिर्द्वादशं सूर्य एव च।
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