अथ दशरथकृतं शनैश्चरस्तोत्रम्।
नमः कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठनिभाय च।
नमः कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नमः।
नमो निर्मांसदेहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च।
नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते।
नमः पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेऽथ वै नमः।
नमो दीर्घाय शुष्काय कालदंष्ट्र नमोऽस्तु ते।
नमस्ते कोटराक्षाय दुर्निरीक्ष्याय वै नमः।
नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने।
नमस्ते सर्वभक्षाय वलीमुख नमोऽस्तु ते।
सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करे भयदाय च।
अधोदृष्टे नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तु ते।
नमो मन्दगते तुभ्यं निस्त्रिंशाय नमोऽस्तु ते।
तपसा दग्धदेहाय नित्यं योगरताय च।
नमो नित्यं क्षुधार्ताय ह्यतृप्ताय च वै नमः।
ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मजसूनवे।
तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात्।
देवासुरमनुष्याश्च सिद्धविद्याधरोरगाः।
त्वया विलोकिताः सर्वे नाशं यान्ति समूलतः।
प्रसादं कुरु मे देव वरार्होऽहमुपागतः।
तुकाराम अष्टक स्तोत्र
सतां श्रेष्ठं परात्मानमनन्यसदृशं गुरुम् । उग्रमन्तर्म....
Click here to know more..हनुमत् स्तव
कन्दर्पकोटिलावण्यं सर्वविद्याविशारदम्। उद्यदादित्यस....
Click here to know more..स्वर्ग के कुछ खबर