आधारे प्रथमे सहस्रकिरणं ताराधवं स्वाश्रये
माहेयं मणिपूरके हृदि बुधं कण्ठे च वाचस्पतिम्।
भ्रूमध्ये भृगुनन्दनं दिनमणेः पुत्रं त्रिकूटस्थले
नाडीमर्मसु राहु-केतु-गुलिकान्नित्यं नमाम्यायुषे।
मूलाधार में सूर्य को,
स्वाधिष्ठान में चंद्र को,
मणिपुर में मंगल को,
अनाहत में बुध को,
विशुद्ध में बृहस्पति को,
आज्ञा में शुक्र को,
सहस्रार में शनैश्चर को,
मर्मस्थानों में राहु-केतु और गुलिक को,
मैं नमस्कार करता हूं।
वे मुझे आयु प्रदान करें।
शिव नामावलि
ॐ श्रीकण्ठाय नमः। ॐ अनन्ताय नमः। ॐ सूक्ष्माय नमः। ॐ त्रि....
Click here to know more..नरसिंह अष्टोत्तर शतनामावलि
ॐ श्रीनारसिंहाय नमः। ॐ महासिंहाय नमः। ॐ दिव्यसिंहाय नमः....
Click here to know more..जगत की रचना के समय ही उसकी अवधि और संहार काल, दोनों ही निश्चित हैं