आधारे प्रथमे सहस्रकिरणं ताराधवं स्वाश्रये
माहेयं मणिपूरके हृदि बुधं कण्ठे च वाचस्पतिम्।
भ्रूमध्ये भृगुनन्दनं दिनमणेः पुत्रं त्रिकूटस्थले
नाडीमर्मसु राहु-केतु-गुलिकान्नित्यं नमाम्यायुषे।
मूलाधार में सूर्य को,
स्वाधिष्ठान में चंद्र को,
मणिपुर में मंगल को,
अनाहत में बुध को,
विशुद्ध में बृहस्पति को,
आज्ञा में शुक्र को,
सहस्रार में शनैश्चर को,
मर्मस्थानों में राहु-केतु और गुलिक को,
मैं नमस्कार करता हूं।
वे मुझे आयु प्रदान करें।
शिव शतनाम स्तोत्र
शिवो महेश्वरः शम्भुः पिनाकी शशिशेखरः। वामदेवो विरूपाक्षः कपर्दी नीललोहितः। शङ्करः शूलपाणिश्च खड्वाङ्गी विष्णुवल्लभः। शिपिविष्टोऽम्बिकानाथः श्रीकण्ठो भक्तवत्सलः। भवः शर्वस्त्रिलोकेशः शितिकण्ठः शिवाप्रियः। उग्रः कपाली कामारिरन्धकासुरसूदनः। गङ्गाधरो ललाटाक्ष
Click here to know more..दिवाकर पंचक स्तोत्र
अतुल्यवीर्यंमुग्रतेजसं सुरं सुकान्तिमिन्द्रियप्रदं सुकान्तिदम्। कृपारसैक- पूर्णमादिरूपिणं दिवाकरं सदा भजे सुभास्वरम्। इनं महीपतिं च नित्यसंस्तुतं कलासुवर्णभूषणं रथस्थितम्। अचिन्त्यमात्मरूपिणं ग्रहाश्रयं दिवाकरं सदा भजे सुभास्वरम्। उषोदयं वसुप्रदं सुवर्चसं
Click here to know more..आरती कीजै हनुमान लला की
आरती कीजे हनुमान लला की, दुष्ट दलन रघुनाथ कला की । जाके बल से गिरवर काँपे, रोग दोष जाके निकट न झाँके, अंजनि पुत्र महा बलदाई, संतन के प्रभु सदा सहाई, आरती कीजे ह
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