देवोत्तमेश्वर वराभयचापहस्त
कल्याणराम करुणामय दिव्यकीर्ते।
सीतापते जनकनायक पुण्यमूर्ते
हे राम ते करयुगं विदधातु भाग्यम्।
भो लक्ष्मणाग्रज महामनसाऽपि युक्त
योगीन्द्रवृन्द- महितेश्वर धन्य देव।
वैवस्वते शुभकुले समुदीयमान
हे राम ते करयुगं विदधातु भाग्यम्।
दीनात्मबन्धु- पुरुषैक समुद्रबन्ध
रम्येन्द्रियेन्द्र रमणीयविकासिकान्ते।
ब्रह्मादिसेवितपदाग्र सुपद्मनाभ
हे राम ते करयुगं विदधातु भाग्यम्।
भो निर्विकार सुमुखेश दयार्द्रनेत्र
सन्नामकीर्तनकलामय भक्तिगम्य।
भो दानवेन्द्रहरण प्रमुखप्रभाव
हे राम ते करयुगं विदधातु भाग्यम्।
हे रामचन्द्र मधुसूदन पूर्णरूप
हे रामभद्र गरुडध्वज भक्तिवश्य।
हे राममूर्तिभगवन् निखिलप्रदान
हे राम ते करयुगं विदधातु भाग्यम्।
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