कामाक्षी स्तुति

माये महामति जये भुवि मङ्गलाङ्गे
वीरे बिलेशयगले त्रिपुरे सुभद्रे।
ऐश्वर्यदानविभवे सुमनोरमाज्ञे
कामाक्षिमातरनिशं मम देहि सौख्यम्।
शैलात्मजे कमलनाभसहोदरि त्वं
त्रैलोक्यमोहकरणे स्मरकोटिरम्ये।
कामप्रदे परमशङ्करि चित्स्वरूपे
कामाक्षिमातरनिशं मम देहि सौख्यम्।
सर्वार्थसाधक- धियामधिनेत्रि रामे
भक्तार्तिनाशनपरे-ऽरुणरक्तगात्रे।
संशुद्धकुङ्कुमकणैरपि पूजिताङ्गे
कामाक्षिमातरनिशं मम देहि सौख्यम्।
बाणेक्षुदण्ड- शुकभारितशुभ्रहस्ते
देवि प्रमोदसमभाविनि नित्ययोने।
पूर्णाम्बुवत्कलश- भारनतस्तनाग्रे
कामाक्षिमातरनिशं मम देहि सौख्यम्।
चक्रेश्वरि प्रमथनाथसुरे मनोज्ञे
नित्यक्रियागतिरते जनमोक्षदात्रि।
सर्वानुतापहरणे मुनिहर्षिणि त्वं
कामाक्षिमातरनिशं मम देहि सौख्यम्।
एकाम्रनाथ- सहधर्म्मिणि हे विशाले
संशोभिहेम- विलसच्छुभचूडमौले।
आराधितादिमुनि- शङ्करदिव्यदेहे
कामाक्षिमातरनिशं मम देहि सौख्यम्।

 

Ramaswamy Sastry and Vighnesh Ghanapaathi

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