कदम्बवनचारिणीं मुनिकदम्बकादम्बिनीं
नितम्बजितभूधरां सुरनितम्बिनीसेविताम्।
नवाम्बुरुहलोचनामभिनवाम्बुदश्यामलां
त्रिलोचनकुटुम्बिनीं त्रिपुरसुन्दरीमाश्रये।
कदम्बवनवासिनीं कनकवल्लकीधारिणीं
महार्हमणिहारिणीं मुखसमुल्लसद्वारुणीम्।
दयाविभवकारिणीं विशदरोचनाचारिणीं
त्रिलोचनकुटुम्बिनीं त्रिपुरसुन्दरीमाश्रये।
कदम्बवनशालया कुचभरोल्लसन्मालया
कुचोपमितशैलया गुरुकृपलसद्वेलया।
मदारुणकपोलया मधुरगीतवाचालया
कयापि घनलीलया कवचिता वयं लीलया।
कदम्बवनमध्यगां कनकमण्डलोपस्थितां
षडम्बुरुवासिनीं सततसिद्धसौदामिनीम्।
विडम्बितजपारुचिं विकचचन्द्रचूडामणिं
त्रिलोचनकुटुम्बिनीं त्रिपुरसुन्दरीमाश्रये।
कुचाञ्चितविपञ्चिकां कुटिलकुन्तलालङ्कृतां
कुशेशयनिवासिनीं कुटिलचित्तविद्वेषिणीम्।
मदारुणविलोचनां मनसिजारिसम्मोहिनीं
मतङ्गमुनिकन्यकां मधुरभाषिणीमाश्रये।
स्मरेत्प्रथमपुष्पिणीं रुधिरबिन्दुनीलाम्बरां
गृहीतमधुपात्रिकां मदविघूर्णनेत्राञ्चलाम्।
घनस्तनभरोन्नतां गलितचूलिकां श्यामलां
त्रिलोचनकुटुम्बिनीं त्रिपुरसुन्दरीमाश्रये।
सकुङ्कुमविलेपनामलिकचुम्बिकस्तूरिकां
समन्दहसितेक्षणां सशरचापपाशाङ्कुशाम्।
अशेषजनमोहिनीमरुणमाल्यभूषाम्बरां
जपाकुसुरभासुरां जपविधौ स्मराम्यम्बिकाम्।
पुरन्दरपुरन्ध्रिकां चिकुरबन्धसैरन्ध्रिकां
पितामहपतिव्रतापटुपटीरचर्चारताम्।
मुकुन्दरमणीमणीलसदलङ्क्रियाकारिणीं
भजामि भुवनम्बिकां सुरवधूटिकाचेटिकाम्।
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