या ह्यम्बा मधुकैटभप्रमथिनी या माहिषोन्मूलिनी
या धूम्रेक्षणचण्डमुण्डमथिनी या रक्तबीजाशिनी।
शक्तिः शुम्भनिशुम्भदैत्यदलिनी या सिद्धिलक्ष्मीः परा
सा दुर्गा नवकोटिविश्वसहिता मां पातु विश्वेश्वरी।।
चंडी कवच
ॐ मार्कण्डेय उवाच। यद्गुह्यं परमं लोके सर्वरक्षाकरं नृ....
Click here to know more..श्रीधर पंचक स्तोत्र
कारुण्यं शरणार्थिषु प्रजनयन् काव्यादिपुष्पार्चितो वे....
Click here to know more..भक्ति, भगवान का नामस्मरण और उसका फल
भक्ति, भगवान का नामस्मरण और उसका फल....
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