दक्षिण-पूर्व दिशा का वास्तु

 

दक्षिण-पूर्व दिशा में क्या क्या बना सकते हैं?

  • घरों में- रसोई, आफिस, ड्राइंग-रूम, और अतिथियों के लिए कमरा। 
  • उद्योगों  में- ट्रांसफार्मर, जनरेटर, बॉयलर, इत्यादि।

दक्षिण-पूर्व दिशा में क्या नहीं बनाना चाहिए?

शयनकक्ष, तिजोरी और मंदिर। 

दक्षिण-पूर्व में सही नींद नहीं मिलती है। 

धन का नाश होता है और देवताओं को भी यह स्थान पसंद नहीं है।

दक्षिण-पूर्व दिशा में मुख्य द्वार से दोष

  • दक्षिण-पूर्व में - बच्चों को तकलीफ। 
  • दक्षिण-पूर्व के पास पूर्व में - चोरी डकायती। 
  • दक्षिण-पूर्व के पास दक्षिण में - सारे परिवार को तकलीफ।

दक्षिण-पूर्व दिशा में घर की बढाई

दक्षिण-पूर्व की ओर घर की बढाई करने से मानसिक रोग हो सकते हैं।

दक्षिण-पूर्व की ओर बढा हुआ भूखंड से दोष

  • पूर्व की ओर - कलह। 
  • दक्षिण की ओर - बदनामी।

दक्षिण-पूर्व दिशा अगर वास्तु दोष से युक्त हो तो क्या होता है?

  • स्त्रीरोग। 
  • स्त्रियों द्बारा अधर्म का आचरण। 
  • शादी में रुकावट। 
  • कोर्ट कचहरी का व्यवहार। 
  • आर्थिक नुकसान। 
  • सेंध। 
  • आग लगना।

दक्षिण-पूर्व से आने वाले रास्ते

  • पूर्व से आने वाला रास्ता - अशुभ। 
  • दक्षिण से आने वाला रास्ता - शुभ।

दक्षिण-पूर्व में पानी

दक्षिण-पूर्व की दिशा से गंदा पानी निकलने न दें। 

कुंआ न खोदें। 

 की टंकी या सेप्टिक टैंक यहां न बनायें। 

इस से मुकदमा या चोरी की संभावना है।

 

दक्षिण-पूर्व दिशा कौन सी होती है?

किसी घर या भूखंड की पूर्व और दक्षिण दिशाएं जहां मिलती हैं उस स्थान को दक्षिण-पूर्व कहते हैं । वास्तु शास्त्र में दक्षिण-पूर्व दिशा को आग्नेय कोण भी कहते हैं।

दक्षिण-पूर्व दिशा में शौचालय

दक्षिण-पूर्व दिशा में केवल स्नानघर बना सकते हैं। यहां कमोड न लगाएं।

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