प्रज्ञा संवर्द्धन सरस्वती स्तोत्र

या प्रज्ञा मोहरात्रिप्रबलरिपुचयध्वंसिनी मुक्तिदात्री
सानन्दाशाविधात्री मधुमयरुचिरा पावनी पातु भव्या।
सौजन्याम्भोजशोभा विलसतु विमला सर्वदा सर्वथाऽत्र
साम्यस्निग्धा विशुद्धा भवतु च वसुधा पुण्यवार्ताविमुग्धा।
या प्रज्ञा विश्वकाव्यामृतरसलहरीसारतत्त्वानुसन्धा
सद्भावानन्दकन्दा ह्यभयविभवदा साम्यधर्मानुबद्धा।
शुद्धाचारप्रदात्री निरुपमरुचिरा सत्यपूताऽनवद्या
कल्याणं सन्ततं सा वितरतु विमला शान्तिदा वेदविद्या।
या ज्ञानामृतमिष्टदं प्रददते या लोकरक्षाकरी ।
या चोदारसुशीलशान्तविमला या भक्तिसञ्चारिणी।
या गोवृन्दनियन्त्रणातिकुशला सा शारदा पातु नः।
गीतावद् गरकण्ठवद् गगनवद् गौराङ्गवद् गोपवत्।

 

Ramaswamy Sastry and Vighnesh Ghanapaathi

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