इस प्रवचन से जानिए- १. देवी भागवत किन किन को पवित्र करता है २. नवाह यज्ञ करने से क्या लाभ है? ३. देवी भागवत पुराणों में सबसे श्रेष्ठ क्यों है? ४ देवी भागवत द्वारा सिद्धियों को कैसे पाया जाएं?
मंगल चण्डिका मां दुर्गा का एक स्वरूप है। सबसे पहले महादेव ने मंगल चण्डिका की पूजा की थी, त्रिपुर के युद्ध के समय। देवी त्रिपुर दहन में भगवान की शक्ति बन गई। यह देवी हमेशा १६ वर्ष की होती है और उनका रंग सफेद चंपा के फूल जैसा है। जिनकी कुंडली में मंगल ग्रह की पीडा हो वे विशेष रूप से मंगल चण्डिकाकी पूजा कर सकते हैं।
संध्या देवी ब्रह्मा जी की मानस पुत्री थी। संध्या के सौन्दर्य को देखकर ब्रह्मा को स्वयं उसके ऊपर कामवासना आयी। संध्या के मन में भी कामवासना आ गई। इस पर उन्होंने शर्मिंदगी महसूस हुई। संध्या ने तपस्या करके ऐसा नियम लाया कि बच्चों में पैदा होते ही कामवासना न आयें, उचित समय पर ही आयें। संध्या देवी का पुनर्जन्म है वशिष्ठ महर्षि की पत्नी अरुंधति।
दुष्ट, पापी, मूर्ख, मित्रों को धोखा देनेवाला, वेदों की निंदा करने वाला, नास्तिक, कठोर- ऐसा आदमी भी श्रीमद् देवी भागवत का नवाह यज्ञ कर लेने से पवित्र हो जाता है। पराया धन को चाहने वाला, परायी स्त्री को चाहने वाला, पाप कर करके जिसका प....
दुष्ट, पापी, मूर्ख, मित्रों को धोखा देनेवाला, वेदों की निंदा करने वाला, नास्तिक, कठोर- ऐसा आदमी भी श्रीमद् देवी भागवत का नवाह यज्ञ कर लेने से पवित्र हो जाता है।
पराया धन को चाहने वाला, परायी स्त्री को चाहने वाला, पाप कर करके जिसका पाप का बोझ बहुत ही भारी हो गया हो, या जिसके दिल में गाय, महात्मा और देवताओं के प्रति आदर और भक्ति न हो- ऐसा आदमी भी श्रीमद् देवी भागवत का नवाह करने से शुद्ध हो जाता है।
जो पुण्य घोर तपस्या, व्रत,उपवास, तीर्थों में स्नान, दान, आत्मसंयम, आध्यात्मिक नियमों का पालन, जप, होम, यज्ञ- ये सब करने से भी नहीं प्राप्त होता हो वह सिर्फ नवाह यज्ञ करने से मिल जाता है।
गंगा, गया, काशी, मथुरा, पुष्कर और बदरीवन जैसे पुण्य स्थान भी किसी को पवित्र करने के विषय में उतना सक्षम और शीघ्र नहीं है जितना है नवाह यज्ञ।
अतो भागवतं देव्याः पुराणं परतः परम् ।
धर्मार्थकाममोक्षाणामुत्तमं साधनं मतम् ॥
इसलिए कहते हैं कि पुराणों में सबसे श्रेष्ठ और उत्तम है श्रीमद् देवी भागवत।
धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष ये चारों को अगर एक साथ पाना हो तो इसके लिए इससे उत्तम उपाय और कोई नहीं है।
आश्विन महीने के शुक्ल पक्ष में अष्टमी के दिन श्रीमद् देवी भागवत ग्रंथ का पूजन पूर्वक एक योग्य मनुष्य को दान करने से देवी का परम पद प्राप्त होता है।
हर दिन इसका एक श्लोक पढो, या आधा श्लोक, देवी की कृपा पाने के लिए और कुछ नहीं चाहिए।
कालरा, चेचक जैसे संक्रामक रोग या भूकंप, बाढ़ जैसे प्राकृतिक विपत्तियों में मात्र देवी भागवत का पाठ और श्रवण से राहत मिल जाती है।
बालग्रह- बालग्रह उसे कहते हैं जो छोटे बच्चों को परेशान करते हैं जैसे पूतना, रेवती, स्कन्द. अपस्मार- या भूत प्रेत जैसे उपद्रव, ये सब देवी भागवत के श्रवण से दूर भागते हैं।
स्यमन्तक मणि की चोरी का आरोप जब भगवान कृष्ण के ऊपर लग गया और वे प्रसेन की खोज में निकल पडे, और भगवान कई दिनों तक वापस नहीं आये तो वसुदेव जी ने श्रीमद् देवी भागवत का श्रवण किया, और भगवान श्री कृष्ण जल्दी ही लौट आये।
देवी भागवत साक्षात् अमृत है, इसका श्रवण से जिसे पुत्र नहीं है उसे पुत्र मिलता है, जो गरीब है वह धनवान बन जाता है और जो बीमार है वह स्वस्थ बन जाता है।
वन्ध्यता तीन प्रकार के हैं: जिसकी संतान ही नहीं होता ,उसे वन्ध्या कहते हैं; जिसकी एक ही संतान है उसे काकवन्ध्या कहते हैं; और जिसकी संतान पैदा होकर मर जाते हैं उसे मृतवत्सा कहते हैं ।
इन तीनों तरह की वन्ध्यताओं का देवी भागवत का श्रवण ही समाधान है।
जिस घर में श्रीमद् देवी भागवत की पूजा हर रोज होती है वह घर न केवल घर होकर एक पुण्य स्थान बन जाता है।
उस घर में रहने वालों का पाप अपने आप नष्ट हो जाता है।
जो व्यक्ति सिद्धियों को पाना चाहता है, उसे देवी भागवत का पाठ अष्टमी, नवमी या चतुर्दशी में करना चाहिए।
देवी भागवत के पाठ से ब्राह्मण वेद विद्वानों में अग्रणी, क्षत्रिय राजा, वणिक धनाढ्य और सेवक अपने बंधु जनों के बीच श्रेष्ठ बन जाता है।
भक्त को दैनिक तौर पर क्या क्या करना चाहिए?
The World Is A Creation Of The Mind
This world is nothing but the pancha bhutas. We just recognize it by millions of different names and shapes. We like some of them; we dislike some of ....
Click here to know more..दत्त गुरु स्तोत्र
सुनीलमणिभासुरा- दृतसुरातवार्ता सुरा- सुरावितदुराशरावि....
Click here to know more..Please wait while the audio list loads..
Ganapathy
Shiva
Hanuman
Devi
Vishnu Sahasranama
Mahabharatam
Practical Wisdom
Yoga Vasishta
Vedas
Rituals
Rare Topics
Devi Mahatmyam
Glory of Venkatesha
Shani Mahatmya
Story of Sri Yantra
Rudram Explained
Atharva Sheersha
Sri Suktam
Kathopanishad
Ramayana
Mystique
Mantra Shastra
Bharat Matha
Bhagavatam
Astrology
Temples
Spiritual books
Purana Stories
Festivals
Sages and Saints