Atharva Veda Vijaya Prapti Homa - 11 November

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पुस्तकस्था तु या विद्या

पुस्तकस्था तु या विद्या परहस्तगतं धनम्|

कार्यकाले समुत्पन्ने न सा विद्या न तद्धनम्|
 
 
जो विद्या सिर्फ पुस्तक में हो, और हमारे दिमाग मे हो और जो खुद का धन, दूसरों के पास दिया हुआ हो - ये दोनों जब जरूरत हो तब काम नहीं आते| 
 
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यह वेबसाइट बहुत ही शिक्षाप्रद और विशेष है। -विक्रांत वर्मा

आप लोग वैदिक गुरुकुलों का समर्थन करके हिंदू धर्म के पुनरुद्धार के लिए महान कार्य कर रहे हैं -साहिल वर्मा

बहुत बढिया चेनल है आपका -Keshav Shaw

वेदधारा की धर्मार्थ गतिविधियों का हिस्सा बनकर खुश हूं 😇😇😇 -प्रगति जैन

सनातन धर्म के प्रति आपका प्रयास, अतुलनीय, और अद्भुत हे, आपके इस प्रयास के लिए कोटि कोटि नमन🙏🙏🙏 -User_smb31x

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सम्यक् शतं क्रतून्कृत्वा यत्फलं समवाप्नुयात्। तत्फलं समवाप्नोति कृत्वा श्रीचक्रदर्शनम् ।। - सैकड़ों यज्ञों को सही ढंग से करने पर व्यक्ति धीरे-धीरे उनके फल प्राप्त करता है। लेकिन केवल श्री चक्र का दर्शन मात्र से वही परिणाम तुरंत प्राप्त हो जाते हैं।

श्रीकृष्ण के संग की प्राप्ति

श्रीकृष्ण के संग पाने के लिए श्री राधारानी की सेवा, वृन्दावन की सेवा और भगवान के भक्तों की सेवा अत्यन्त आवश्यक हैं। इनको किए बिना श्री राधामाधव को पाना केवल दुराशा मात्र है।

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