गुणेषु क्रियतां यत्नः

गुणेषु क्रियतां यत्नः किमाटोपैः प्रयोजनम् |
विक्रीयन्ते न घण्टाभिर्गावः क्षीरविवर्जिताः ||


अगर प्रयास करना हो तो अपने अंदर विद्यमान अच्छे गुणों को बढाने का प्रयास कीजिए | बाकी के आडम्बरों से कोई प्रयोजन नहीं मिलने वाला | जो गाय दूध न देती हो उसके गले पर मणि बांधने से कोई उसे खरीद नहीं लेगा | इसी प्रकार बिन गुणों के दर्प करने वालों को कोई सम्मान नहीं देगा |

 

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