इस प्रवचन से जानिए- लक्ष्मी जी ने भगवान को क्यों श्राप दिया
देवी स्तुति से प्रसन्न हो गयी। एक आकाशवाणी सुनाई दी। आप लोग चिंता न करें। आप लोगों की इस स्तुति से में बहुत ही प्रसन्न हो गयी हूँ। यह जो स्तुति गीत आपने गाया है , इसका जो भी पाठ करेगा, उसकी सारी अभिलाषाएं पूरी हो जाएंगी। ....
देवी स्तुति से प्रसन्न हो गयी।
एक आकाशवाणी सुनाई दी।
आप लोग चिंता न करें।
आप लोगों की इस स्तुति से में बहुत ही प्रसन्न हो गयी हूँ।
यह जो स्तुति गीत आपने गाया है , इसका जो भी पाठ करेगा, उसकी सारी अभिलाषाएं पूरी हो जाएंगी।
जो मनुष्य इस स्तुति को हर दिन सुबह शाम और मध्याह्न में पढेगा, उसके सारे कष्ट दूर हो जायेंगे।
वह सुखी हो जायेगा।
इसका पाठ वेदों के पाठ के समान है।
इसके बाद उस आकाशवाणी ने भगवान विष्णु के शिरच्छेद का कारण बताया।
एक बार भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी साथ में बैठे हुए थे।
लक्ष्मी जी को देखकर भगवान ऐसे ही बिना कारण हस पडे।
लक्ष्मी जी सोचने लगी, ये ऐसे क्यों हस रहे हें?
मेरे चेहरे पर इनको क्या दोष दिखाई दे रहा है?
मेरा उपहास क्यों कर रहे हें?
लगता है इनको और कोई मिल गयी है।
किसी को मेरी सौत बना लिया होगा इन्होंने।
नहीं तो ऐसा नहीं करते, पहले कभी ऐसा नहीं किया है।
सौत- ऐसे सोचते ही लक्ष्मी जी के मन में क्रोध आ गया।
उनका शरीर तमोगुण से व्याप्त हो गया।
उनके शरीर में अति घोर तामसिक शक्ति छा गई, और उस तामसिक शक्ति के कारण उनका क्रोध और तेज हो गया।
और लक्ष्मी जी ने भगवान विष्णु को शाप दे दिया।
तुम्हारा यह सर कटकर गिर जायेगा।
बिना सोचे समझे उन्होंने यह शाप दिया।
यहाँ पर एक सोचने लायक बात है; किसी को बिना किसी कारण दुःख मत पहुंचाओ।
किसी का उपहास मत करो।
किसी को चोट मत पहुंचाओ।
आजकल सबके सामने किसी का अपमान करना, किसी का मजाक उड़ाना, किसी को नीचा दिखाना बहुत साधारण बात हो गयी है।
नौजवानों में यह सबसे अधिक है।
अधिकतर दोस्तों के ही बीच।
यह करना बंद करो, इसको सीमित रखो, शब्दों के ऊपर, चेष्टाओं के ऊपर संयम रखो।
लक्ष्मी जी ने भी जानबूझकर यह शाप नहीं दी होगी।
क्या पता किसके शरीर में कब ऐसी तामसी शक्ति समावेश हो जाएं?
हंसी मजाक का बहुत बुरा परिणाम भी निकल सकता हे।
किसी को भी विशेष करके भोले भाले लोगों को निर्दोष लोगों को चोट मत पहुंचाओ।
यह कोई आवश्यक नहीं है कि शाप देने के लिए वह कोई बड़ा तपस्वी हो।
उसमें वह शक्ति आ जाती है।
ऐसे ऐसे कारण हो सकते हैं तुम्हारी समस्याओं के पीछे।
बिना सोचे समझे किया निष्प्रयोजक कर्म।
बहुत आम बात है यह।
क्या पाया तुमने?
साथ में बैठे लोग थोड़े समय के लिये जोर जोर से हंसे।
पाँच मिनट के लिए तुम दुनिया के सबसे बडे हास्य कलाकार भी बन गये।
लेकिन यह कभी बहुत हानिकारक भी बन सकता हे।
जीवन उजड़ सकती है इससे।
पुराण ऐसी घटनाओं के द्वारा सदाचार सिखाता है।
किसी को हंसी मजाक में चोट मत पहुंचाओ।
दुख मत पहुँचाओ।
भगवान ने हस दिया था, लक्ष्मी जी को देखकर।
कोई कारण नहीं था इसके पीछे।
तब भी भगवान शापित हो गये थे।
जगत की रचना के समय ही उसकी अवधि और संहार काल, दोनों ही निश्चित हैं
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