मनस्येकं वचस्येकं कर्मण्येकं महात्मनाम् |
मनस्यन्यद् वचस्यन्यत् कर्मण्यन्यद् दुरात्मनाम् ||
अच्छे लोगों के मन में, वाणी में और क्रिया में एक ही चीज होती है| वे जो सोचते हैं वह ही बोलते हैं और जो बोलते हैं वह ही करते हैं| बुरे लोगों के मन में अलग चीज, वाणी में अलग चीज और क्रिया में अलग चीज होती है| वे सोचते कुछ हैं, बोलते कुछ और हैं और करते कुछ और हैं|
Bhakti Ratnavali was written by Vishnu Puri of Mithila under instruction from Chaitanya Mahaprabhu. It is a collection of all verses pertaining to bhakti from Srimad Bhagavata.
जन्म से बारहवां दिन या छः महीने के बाद रेवती नक्षत्र गंडांत शांति कर सकते हैं। संकल्प- ममाऽस्य शिशोः रेवत्यश्विनीसन्ध्यात्मकगंडांतजनन सूचितसर्वारिष्टनिरसनद्वारा श्रीपरमेश्वरप्रीत्यर्थं नक्षत्रगंडांतशान्तिं करिष्ये। कांस्य पात्र में दूध भरकर उसके ऊपर शंख और चन्द्र प्रतिमा स्थापित किया जाता है और विधिवत पुजा की जाती है। १००० बार ओंकार का जाप होता है। एक कलश में बृहस्पति की प्रतिमा में वागीश्वर का आवाहन और पूजन होता है। चार कलशों में जल भरकर उनमें क्रमेण कुंकुंम, चन्दन, कुष्ठ और गोरोचन मिलाकर वरुण का आवाहन और पूजन होता है। नवग्रहों का आवाहन करके ग्रहमख किया जाता है। पूजा हो जाने पर सहस्राक्षेण.. इस ऋचा से और अन्य मंत्रों से शिशु का अभिषेक करके दक्षिणा, दान इत्यादि किया जाता है।
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