शैले शैले न माणिक्यम्

शैले शैले न माणिक्यं मौक्तिकं न गजे गजे |
साधवो नहि सर्वत्र चन्दनं न वने वने ||

 

अनमोल वस्तु हर जगह उपलब्ध नहीं होता है| हर पर्वत में माणिक्य नही होता है| हर हाथी के मस्तक में मौक्तिक नहीं होता है| हर वन में चन्दन नहीं होता है और हर स्थान पर अच्छे लोग नहीं होते हैं|

 

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