योजकस्तत्र दुर्लभः

अमन्त्रमक्षरं नास्ति नास्ति मूलमनौषधम्|
अयोग्यः पुरुषो नास्ति योजकस्तत्र दुर्लभः|

 

कोई भी ऐसा अक्षर नहीं है जो किसी मंत्र में उपयुक्त न हो| कोई भी ऐसा जड नही है जो औषधि मे उपयुक्त न हो| ऐसे ही इस संसार में कोई भी ऐसा पुरुष नहीं हो जो नालायक हो| पर सही पुरुष को सही काम मे मार्ग दर्शाने वाले लोग बहुत कम होते हैं|

 

21.6K

Comments

yvtk8
Copyright © 2024 | Vedadhara | All Rights Reserved. | Designed & Developed by Claps and Whistles
| | | | |