निःस्पृहस्य तृणं जगत्

उदारस्य तृणं वित्तं शूरस्य मरणं तृणम् ।
विरक्तस्य तृणं भार्या निःस्पृहस्य तृणं जगत् ।।

 

विशाल दिल वालों के लिए धन तृण के समान होता है । शूर-वीर के लिए जान तृण के समान होती है । विरक्त व्यक्ति के लिए पत्नी तृण के समान होती है । जिस व्यक्ति की इच्छा पर संयम हो उस के लिए यह संपूर्ण जगत ही तृण के समान होता है ।

 

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