न देवा दण्डमादाय रक्षन्ति

न देवा दण्डमादाय रक्षन्ति पशुपालवत् ।
यं तु रक्षितुमिच्छन्ति बुद्ध्या संविभजन्ति तम् ।।

 

जिस प्रकार से एक पशुपालक पशु कि रक्षा करता है, देव उसी प्रकार से मनुष्यों की रक्षा नहीं करते । बलकी वे जिस की रक्षा करना चाहते हैं उस को बुद्धि प्रदान कर देते हैं ।

 

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