न वदति साधुः करोत्येव

शरदि न वर्षति गर्जति वर्षति वर्षासु निःस्वनो मेघः ।
नीचो वदति न कुरुते न वदति साधुः करोत्येव ।।

ठंड के मौसम में मेघ बस गरजता है और बरसता बिलकुल नहीं है । बारिश के मौसम में बिन गरजे मेघ सिर्फ बरसता है । इस प्रकार नीच लोग सिर्फ बोलते रहते हैं और कभी कार्य नहीं करते । साधुजन बोलते नहीं, बस कार्य करते रहते हैं ।

 

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GiwmG
🌹🌹🌹🌹🌹 വളരെ നല്ലത് -User_sci1ab
Thank you Replied by Vedadhara

very good -User_scr5d2

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संतों को ज्ञान, मार्गदर्शन और आशा के स्रोत के रूप में देखा जाता है। आज के समय भी संत हमें नैतिकता, करुणा और विश्वास के साथ जीवन जीने का उदाहरण देते हैं। उनकी शिक्षाएं उत्तरोत्तर प्रासंगिक होते जा रहे हैं। वे कठिन समय में भी लचीलापन और विश्वास के साथ जीना सिखाते हैं।

अन्नदान का महत्व क्या है?

जिसने इहलोक में जितना अन्नदान किया उसके लिए परलोक में उसका सौ गुणा अन्न प्रतीक्षा करता रहता है। जो दूसरों को न खिलाकर स्वयं ही खाता है वह जानवर के समान होता है।

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