कुसुमस्तबकस्येव

कुसुमस्तवकस्येव द्वयीवृत्तिर्मनस्विनः ।
मूर्ध्नि वा सर्वलोकस्य शीर्यते वन एव वा ।।

 

अच्छे लोग पुष्प के गुच्छ के समान होते हैं । या तो वे सभी लोगों के ऊपर विराजमान होते हैं, नहीं तो किसी वन में शांति के साथ जीवन बिताकर लय प्राप्त कर लेते हैं ।

 

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अद्वितीय website -श्रेया प्रजापति

वेदधारा के माध्यम से हिंदू धर्म के भविष्य को संरक्षित करने के लिए आपका समर्पण वास्तव में सराहनीय है -अभिषेक सोलंकी

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गौ माता में कितने देवता रहते हैं?

गौ माता में सारे ३३ करोड देवता रहते हैं। जैसे: सींग के जड़ में ब्रह्मा और विष्णु, मध्य में महादेव, नोक में सारे तीर्थ, माथे पर गौरी, नाक में कार्तिकेय, आखों में सूर्य और चंद्रमा, मुंह में सरस्वती, गले में इंद्र, अपान में श्रीलक्ष्मी, शरीर के रोमों में तैंतीस करोड देवता।

दक्षिण-पूर्व दिशा में शौचालय

दक्षिण-पूर्व दिशा में केवल स्नानघर बना सकते हैं। यहां कमोड न लगाएं।

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राणी सती का सबसे बडा मन्दिर कहां स्थित है ?
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