विद्या ददाति विनयं विनयाद्याति पात्रताम् |
पात्रत्वाद्धनमाप्नोति धनाद्धर्मस्ततः सुखम् ||
पढाई विनम्रता प्रदान करती है | विनम्रता के साथ मनुष्य योग्य बनता है | योग्य बनकर मनुष्य धन कमाता है और उस धन से धर्म का काम करता है | उस धर्म से वह सुख को पाता है |
महाभारत के युद्ध में कौरव पक्ष में ११ और पाण्डव पक्ष में ७ अक्षौहिणी सेना थी। २१,८७० रथ, २१,८७० हाथी, ६५, ६१० घुड़सवार एवं १,०९,३५० पैदल सैनिकों के समूह को अक्षौहिणी कहते हैं।
राम के वनवास पर कैकेयी का आग्रह घटनाओं के प्रकटीकरण के लिए महत्वपूर्ण था। रावण से व्यथित देवताओं की प्रार्थना के फलस्वरूप भगवान ने अवतार लिया। यदि कैकेयी ने राम के वनवास पर जोर नहीं दिया होता, तो सीता के अपहरण सहित घटनाओं की श्रृंखला नहीं घटती। सीताहरण के बिना रावण की पराजय नहीं होती। इस प्रकार, कैकेयी के कार्य दैवीय योजना में सहायक थे।
त्रीणि रम्यानि दूरतः
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