वसुधैव कुटुम्बकम्

अयं निजः परो वेति गणना लघुचेतसाम्|
उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम्|

 

यह व्यक्ति अपना है और यह व्यक्ति पराया है, ऐसी सोच छोटे लोगों की होती है| महान पुरुषों के लिए तो यह समस्त भूमि अपने परिवार के समान होता है|

 

 

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