शाबर मंत्र के नियम

kaali maa

क्या इस मंत्र को सुनने के लिए दीक्षा आवश्यक है?

नहीं। दीक्षा केवल तब आवश्यक होती है जब आप मंत्र साधना करना चाहते हैं, सुनने के लिए नहीं।

लाभ प्राप्त करने के लिए बस हमारे द्वारा दिए गए मंत्रों को सुनना पर्याप्त है।


शाबर मंत्र को सिद्ध करते समय इन नियमों का पालन करें

 

  • गुरु से मंत्र प्राप्त करें । 
  • गुरु से शक्ति दीक्षा अवश्य प्राप्त करें | 
  • ब्रह्मचर्य व्रत का पूर्ण रूप से पालन करें। 
  • अपने गुरु एवं परमात्मा पर पूर्ण विश्वास और श्रद्धा रखें। 
  • मन एवं शरीर को शुद्ध और पवित्र रखें। 
  • प्राचीन तंत्र शास्त्रों पर विश्वास कर साधना करें । 
  • मांस-मदिरा का सेवन न करें। 
  • गुरु के सिवा किसी भी अन्य व्यक्ति से साधना सम्बन्धी कोई बात न करें। 
  • साधना के लिए एकांत और शुद्ध स्थान का उपयोग करें। 
  • गुरु के छत्र-छाया में ही अनुष्ठान करें। 
  • साफ-स्वच्छ, धुले हुए वस्त्रों का उपयोग करें। 
  • तेल, सुगन्ध, साबुन, पाउडर आदि का उपयोग न करें। 
  • अकेले एकांत में ही साधना करें। 
  • साधना समय में असली धूप का हीं उपयोग करें। 
  • साधना काल में शुद्ध देशी घी का अखण्ड दीपक जलायें।
  • साधना के समय जल का लोटा अपने पास रखें। 
  • उस पात्र का जल २४ घण्टे बाद किसी वृक्ष पर चढ़ा दें। 
  • साधना एक नियत समय पर ही करें। 
  • हर मंत्र की प्रत्येक विधि होती है, उसी का पालन करें।
  • साधना में बताए गये अनुष्ठान के दिनों तक बिना आलस्य के  प्रतिदिन जप अवश्य करें। 
  • साधना आरम्भ से पूर्व मंत्र को कण्ठस्थ करके'जप करें। 
  • जप के समय क्रोध, लड़ाई, चिंता आदि से बचें। 
  • जप काल में झूठ का त्याग अवश्य करें। 
  • साधना काल में धूम्रपान या कोई अन्य नशा आदि न करें। 
  • साधना शान्त, नियत स्थान पर एकांत में ही करें। 
  • साधना वाले दिनों में मौन धारण करें।
  • साधना समय में जिस मंत्र का जप कर रहें हों, उस मंत्र के देवता की प्रतिमा या फोटो अवश्य सामने स्थापित करें। 
  • जप शुरु करने से पहले अपनी रक्षा अवश्य करें। 
  • जप साधना में असली शुद्ध सामग्री का ही उपयोग करें। 
  • जप काल में भोग आदि सामग्री, फल-फूल, मिठाई आदि ताजा एवं शुद्ध होनी चाहिए।
  • साधना काल में साधक अपने वस्त्र, जूठे बर्तन. आदि स्वयं साफ करें। 
  • साधक साधना में उपयोग की सामग्री (नैवेद्य, भोग) तथा अपना भोजन स्वयं तैयार करें। 
  • साधना रात्रि के शान्त वातावरण में करें। 
  • साधक, अनुष्ठान, जप के बाद भी नियमित मंत्र जप करते रहें। 
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