जमवाय माता आरती

जमवाय माता आरती

सेवक की सुन मेरी कुल माता हाथ जोड तेरे द्वार खडे ।।

धूप दीप नारियल ले हम माँ जमवाय की भेट धरें ।।

कछवाह कुल की कुलदेवी माँ हो खुश हम पे कृपा करे ।

सुन मेरी माता तुम सुख दाता, कष्ट हमारे दूर करे ।।

बुद्दि विधाता तुम कुल माता, हम सब का उद्धार करे ।

चरण शरण का लिया आसरा तेरी कृपा से काज सरे ।।

बांह पकड कर आप उठाओ, हम शरण तेरी आन पडे ।

जब भीड पडे भक्तो पर, तब माँ जमवाय सहाय करे ।।

धेनु रूप धर माँ तुमही दुल्हराय को जीवन दान करे ।

जंग जिता राज दिलाया, जमवारामगढ नाम परे ।।

हरसिद्दी अरू बडवाय, माँ तुमने ही रूप धरे ।

दोष न देख अपना लेना, अच्छे बुरे पूत हम तरे ।।

माँ जमवाय की आरती जो गावे, माँ उसके भण्डार भरे |

दर्शन ताहिं जो नर आवे, माँ उसकी मंशा पूरी करे ।।

कुलदेवी को जो ध्यावे, माँ उसके कुल में वृद्धि करे ।

कलि में कष्ट मिटेगें सारे, माँ की जो जयकार करे ।।

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।। ॐ जय जमवाय माता ।। सेवक की सुनों मेरी कुल माता, हाथ जोड़ आपके द्वार खड़े । धूप दीपक नारियल ले हम, मॉं जमवाय की भेंट धरें ।। कछवाहा कुल की देवी मॉ।, हो खुष हम पर कृपा करें । सुनों मेरी माता आप सुख दाता, कष्ट हमारे दूर करें ।। बुद्धि विधाता आप कुल माता, हम सब का उद्धार करें । चरण शरण का लिया आसरा, आपकी कृपा से काज सरें ।। बॉंह पकड़ कर आप उठाओं, हम शरण आपकी आन पड़े । जब भीड़ पड़े भगतों पर, तब मंॉ जमवाय सहाय करें ।। धेनु रूपधर मॉं आप ही, दुल्हेराय को जीवन दान करें । जंग जिता राज दिलाया, जमवारामगढ़ नाम परें ।। हरिसिद्धि अरू बड़वाया भी, मॉ आपने ही रूप धरे । दोष न देख अपना लेना, अच्छे बुरे पूत हम सब तरें ।। मॉं जमवाय की आरती जो गावे, मॉं उसके भण्डार भरे । दर्षन तांहि जो नर आवे, मॉं उसकी मंषा पूरी करें ।। कुल देवी को जो ध्यावे, मॉं उसके कुल में वृद्धि करें । कलि में कष्ट मिटेंगे सारे, मॉं की जो जय जयकार करें ।। -Kuldeep Singh

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