आरती कीजे श्री रघुवर जी की

raghuvar ji

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आरती कीजै श्री रघुवर जी की, 

सत् चित् आनन्द शिव सुन्दर की । 

दशरथ तनय कौशल्या नन्दन, 

सुर मुनि रक्षक दैत्य निकन्दन । 

अनुगत भक्त भक्त उर चन्दन, 

मर्यादा पुरूषोतम वर की । 

निर्गुण सगुण अनूप रूप निधि, 

सकल लोक वन्दित विभिन्न विधि । 

हरण शोक-भय दायक नव निधि, 

माया रहित दिव्य नर वर की । 

जानकी पति सुर अधिपति जगपति, 

अखिल लोक पालक त्रिलोक गति ।

विश्व वन्द्य अवन्ह अमित गति, 

एक मात्र गति सचराचर की । 

शरणागत वत्सल व्रतधारी, 

भक्त कल्पतरुवर तरुवर असुरारी । 

नाम लेत जग पावनकारी, 

वानर सखा दीन दुख हर की।

 

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