संत वाणी - २

साधकों को ऐसे लोगों से एकदम दूर रहना चाहिए जो धर्म, धार्मिक और साधना की निन्दा करते हैं । माया को पहचान लेने पर वह तुरंत भाग जाती है । ईश्वर सबके अंदर विराजमान हैं जैसे दही के अंदर मक्खन । साधना द्वारा उन्हें मथकर निकालन....

साधकों को ऐसे लोगों से एकदम दूर रहना चाहिए जो धर्म, धार्मिक और साधना की निन्दा करते हैं ।

माया को पहचान लेने पर वह तुरंत भाग जाती है ।

ईश्वर सबके अंदर विराजमान हैं जैसे दही के अंदर मक्खन । साधना द्वारा उन्हें मथकर निकालना पडता है ।

ईश्वर साकार हो या निराकार, कोई फर्क नहीं पडता । मिसरी को जिस ओर से भी निकालकर खाओ, मीठी तो लगेगी न ?

मन सफेद कपडा है । इसे जिस रंग में डुबाओगे, वही रंग चढ जाएगा ।

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