संत वाणी - ३

जो संसार में रहकर भी साधना कर सकते हैं, वे ही सचमुच बहादुर हैं हरिनाम सुनते ही जिसकी आँखों से सच्चे प्रेमाश्रु बह निकलते हैं, वही नाम-प्रेमी है डुबकी लगाते रहो, रत्न अवश्य मिल जाएगा । साधना करते रहो, ईश्वर की कृपा अवश्य होगी ।....

जो संसार में रहकर भी साधना कर सकते हैं, वे ही सचमुच बहादुर हैं
हरिनाम सुनते ही जिसकी आँखों से सच्चे प्रेमाश्रु बह निकलते हैं, वही नाम-प्रेमी है
डुबकी लगाते रहो, रत्न अवश्य मिल जाएगा । साधना करते रहो, ईश्वर की कृपा अवश्य होगी ।
मरने के समय मन में जो भाव है, आगे वही मिलता है । इसलिए सर्वदा भगवान का स्मरण करते रहो ताकि अंत में भगवान ही मन में रहें और वे मिल जाएं ।

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