इस प्रवचन से वेदों में गौ माता की महिमा का उल्लेख के बारे में जानिए।

गौ सूक्त

आ गावो अग्मन्नुत भद्रमक्रन्सीदन्तु गोष्ठे रणयन्त्वस्मे। प्रजावतीः पुरुरूपा इह स्युरिन्द्राय पूर्वीरुषसो दुहानाः। इन्द्रो यज्वने पृणते च शिक्षत्युपेद्ददाति न स्वं मुषायति। भूयोभूयो रयिमिदस्य वर्धयन्नभिन्ने खिल्ये नि दधाति देवयुम्। न ता नशन्ति न दभाति तस्करो नासामामित्रो व्यथिरा दधर्षति। देवाँश्च याभिर्यजते ददाति च ज्योगित्ताभिः सचते गोपतिः सह। न ता अर्वा रेणुककाटो अश्नुते न संस्कृतत्रमुप यन्ति ता अभि। उरुगायमभयं तस्य ता अनु गावो मर्तस्य वि चरन्ति यज्वनः। गावो भगो गाव इन्द्रो मे अच्छान्गावः सोमस्य प्रथमस्य भक्षः। इमा या गावः स जनास इन्द्र इच्छामीद्धृदा मनसा चिदिन्द्रम्। यूयं गावो मेदयथा कृशं चिदश्रीरं चित्कृणुथा सुप्रतीकम्। भद्रं गृहं कृणुथ भद्रवाचो बृहद्वो वय उच्यते सभासु। प्रजावतीः सूयवसं रिशन्तीः शुद्धा अपः सुप्रपाणे पिबन्तीः। मा व स्तेन ईशत माघशंसः परि वो हेती रुद्रस्य वृज्याः। उपेदमुपपर्चनमासु गोषूप पृच्यताम्। उप ऋषभस्य रेतस्युपेन्द्र तव वीर्ये। ऋग्वेद.६.२८

मांसाहार को छुडाने में गाय की क्या भूमिका है?

शरीर को स्वस्थ रखने के लिए भोजन में प्रोटीन का होना बहुत जरूरी है। प्रोटीन का एक मुख्य स्रोत है मांस। गाय माता अपने दूध द्वारा प्रचुर मात्रा में प्रोटीन देकर हम पर अनुग्रह करती है ताकि हम बिना मांस के ही काम चला सकें। दूध, दही और घी का उपयोग करने वालों के लिए मांस खाने की जरूरत नहीं है।

Quiz

दुष्यन्त और शकुन्तला के पुत्र का नाम ?

अथर्व वेद दूसरा कांड छब्बीसवां सूक्त में कहा है कि- एह यन्तु पशवो ये परेयुर्वायुर्येषां सहचारं जुजोष। वायु भगवान गायों के साथ चलकर उन की रक्षा करते हैं। त्वष्टा येषां रूपधेयानि वेद। त्वष्टा मतलब सूर्य ....


अथर्व वेद दूसरा कांड छब्बीसवां सूक्त में कहा है कि-

एह यन्तु पशवो ये परेयुर्वायुर्येषां सहचारं जुजोष।

वायु भगवान गायों के साथ चलकर उन की रक्षा करते हैं।

त्वष्टा येषां रूपधेयानि वेद।

त्वष्टा मतलब सूर्य भगवान।

सूर्य भगवान गाय के गर्भ के अंदर बछडे को अपना स्वरूप देते हैं।

अथर्व वेद तृतीय कांड चौदहवां सूक्त में गौ से प्रार्थना करते हैं-

अहर्जातस्य यन्नाम तेना वः संसृजामसि ।

हमें पुत्रपौत्रादि से संपन्न करें।

मयि संज्ञानमस्तु वः ।

मेरे ऊपर आप लोगों की प्रीति हो जाएं।

ऋग्वेद में प्रार्थना करते है-

आ गावः अस्मे भद्रमक्रन्

गौ हमारा कल्याण करने आए।

प्रार्थना करते हैं कि-

न ता अर्वा अश्नुते

ये गाय बाघ जैसे हिंसक जानवरों से आक्रमित न हो।

न संस्कृतत्रमुपयन्ति ।

मांस को काट कर खाने वालों के हाथ में ये गाय न फसें।

इमा या गावः स जनास इन्द्रः ।

इन्द्रादि देवताओं को भी गौ माता आपने दूध से, दही से और घी से पुष्ट करती है।

उन का शरीर गौ माता का ही दिया हुआ है।

इस कारण से गौ माता ही सारे देवता हैं ।

यजुर्वेद मे बोला है- गायत्राः पशवः ।

गौ और गायत्री मंत्र एक दूसरे से भिन्न नहीं है ।

यह है संक्षेप में गौ माता की महिमा ।

इसे जानें, गौ माता के भक्त अपनी भक्ति और आस्था को और दृढ करें।

जो वर्तमान में गौ भक्त नहीं हैं वे भी गौ भक्त बनें।

कम से कम गौ भक्तों की भावनाओं का आदर करें।

अपने धर्म का पालन करने में उन को सहयोग दें।

गौ माता की रक्षा करें ।

Copyright © 2024 | Vedadhara | All Rights Reserved. | Designed & Developed by Claps and Whistles
| | | | |