तुम प्रेम हो तुम प्रीत हो
मेरी बांसुरी का गीत हो
तुम प्रेम हो तुम प्रीत हो
मनमीत हो राधे मेरी मनमीत हो
तुम प्रेम हो तुम प्रीत हो
मेरी बांसुरी का गीत हो
तुम ह्रदय में प्राण में कान्हा
तुम ह्रदय में प्राण में
निसदिन तुम्हीं हो ध्यान में
तुम ह्रदय में प्राण में
निसदिन तुम्हीं हो ध्यान में
हर रोम में तुम हो बसे
तुम विश्वास के आह्वान में
तुम प्रेम हो तुम प्रीत हो तुम गीत हो काहना
मेरे मनमीत हो
तुम प्रेम हो तुम प्रीत हो
मनमीत हो राधे मेरी मनमीत हो
तुम प्रेम हो तुम प्रीत हो
मेरी बांसुरी का गीत हो
हूँ मैं जहाँ तुम हो वहाँ राधा
हूँ मैं जहाँ तुम हो वहाँ
तुम बिन नहीं है कुछ यहाँ
हूँ मैं जहाँ तुम हो वहाँ
तुम बिन नहीं है कुछ यहाँ
मुझमें धड़कती हो तुम्ही
तुम दूर मुझसे हो कहाँ
तुम प्रेम हो तुम प्रीत हो
मनमीत हो राधे मेरी मनमीत हो
तुम प्रेम हो तुम प्रीत हो
मनमीत हो राधे मेरी मनमीत हो
तुम प्रेम हो तुम प्रीत हो
परमात्मा का स्पर्श हो राधे
परमात्मा का स्पर्श हो
पुलकित ह्रदय का हर्ष हो
परमात्मा का स्पर्श हो
पुलकित ह्रदय का हर्ष हो
तुम हो समर्पण का शिखर
तुम हो समर्पण का शिखर
तुम ही मेरा उत्कर्ष हो
तुम प्रेम हो तुम प्रीत हो
मेरी भावना की तुम राधे जीत हो
तुम प्रेम हो तुम प्रीत हो
मनमीत हो राधे मेरी मनमीत हो
तुम प्रेम हो तुम प्रीत हो
मनमीत हो राधे मेरी मनमीत हो
सबसे पहले देवता के मूल मंत्र से तीन बार फूल चढायें। ढोल, नगारे, शङ्ख, घण्टा आदि वाद्यों के साथ आरती करनी चाहिए। बत्तियों की संख्या विषम (जैसे १, ३, ५, ७) होनी चाहिए। आरती में दीप जलाने के लिए घी का ही प्रयोग करें। कपूर से भी आरती की जाती है। दीपमाला को सब से पहले देवता की चरणों में चार बार घुमाये, दो बार नाभिदेश में, एक बार चेहरे के पास और सात बार समस्त अङ्गोंपर घुमायें। दीपमाला से आरती करने के बाद, क्रमशः जलयुक्त शङ्ख, धुले हुए वस्त्र, आम और पीपल आदि के पत्तों से भी आरती करें। इसके बाद साष्टाङ्ग दण्डवत् प्रणाम करें।
श्री शिवाय नमस्तुभ्यम् मंत्र जापने से शिव जी की कृपा, सद्बुद्धि का विकास, धन की प्राप्ति, अभीष्टों की सिद्धि, स्वास्थ्य, संतान इत्यादियों की प्राप्ति होती है।
सुवचन को छोटे बच्चों से भी ग्रहण कर लेना चाहिये
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