वृषभ राशि के २३ अंश २० कला से मिथुन राशि के ६ अंश ४० कला तक जो नक्षत्र व्याप्त है, उसे मृगशिरा कहते हैं। वैदिक खगोल विज्ञान में यह पांचवां नक्षत्र है। आधुनिक खगोल विज्ञान के अनुसार मृगशिरा नक्षत्र का नाम है लाम्बडा और फै ओरायोनिस।
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मृगशिरा नक्षत्र में जन्म लेने वालों को इन दिनों महत्वपूर्ण कार्य नहीं करना चाहिए और इन नक्षत्रों में जन्मे लोगों के साथ भागीदारी नहीं करना चाहिए।
मृगशिरा नक्षत्र में जन्म लेने वालों को इन स्वास्थ्य से संबन्धित समस्याओं की संभावना है-
मृगशिरा नक्षत्र में जन्म लेने वालों के लिए कुछ अनुकूल व्यवसाय-
हां। अनुकूल है।
मूंगा
लाल
मृगशिरा नक्षत्र के लिए अवकहडादि पद्धति के अनुसार नाम का प्रारंभिक अक्षर हैं-
नामकरण संस्कार के समय रखे जाने वाले पारंपरिक नक्षत्र-नाम के लिए इन अक्षरों का उपयोग किया जा सकता है।
शास्त्र के अनुसार नक्षत्र-नाम के अलावा एक व्यावहारिक नाम भी होना चाहिए जो रिकॉर्ड में आधिकारिक नाम रहेगा। उपरोक्त प्रणाली के अनुसार रखे जाने वाला नक्षत्र-नाम केवल परिवार के करीबी सदस्यों को ही पता होना चाहिए।
मृगशिरा नक्षत्र में जन्म लेने वालों के व्यावहारिक नाम इन अक्षरों से प्रारंभ न करें -
मृगशिरा नक्षत्र वाले अपने स्वार्थ को काबू में रखने का प्रयास करें। व्यसन इनके दांपत्य जीवन में समस्या बन सकते हैं। परिश्रमी और अभिलाषी होने के कारण इनके परिवार में प्रगति होगी।
मृगशिरा नक्षत्र में जन्म लेने वालों के लिए बुध, बृहस्पति और शुक्र की दशाएं आमतौर पर प्रतिकूल होती हैं। वे निम्नलिखित उपाय कर सकते हैं।
ॐ सोमाय नमः
ब्रह्मा-मरीचि-कश्यप-विवस्वान-वैवस्वत मनु-इक्ष्वाकु-विकुक्षि-शशाद-ककुत्सथ-अनेनस्-पृथुलाश्व-प्रसेनजित्-युवनाश्व-मान्धाता-पुरुकुत्स-त्रासदस्यु-अनरण्य-हर्यश्व-वसुमनस्-सुधन्वा-त्रय्यारुण-सत्यव्रत-हरिश्चन्द्र-रोहिताश्व-हारीत-चुञ्चु-सुदेव-भरुक-बाहुक-सगर-असमञ्जस्-अंशुमान-भगीरथ-श्रुत-सिन्धुद्वीप-अयुतायुस्-ऋतुपर्ण-सर्वकाम-सुदास्-मित्रसह-अश्मक-मूलक-दिलीप-रघु-अज-दशरथ-श्रीराम जी
धन्वन्तरि जयन्ती धनतेरस को ही मनाया जाता है।
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