बरसाना मथुरा से ४२ कि.मी. दूरी पर है।
यह राधारानी की पितृभूमि है।
राधारानी के पिता का नाम था वृषभानु।
बरसाना का प्राचीन नाम था वृषभानुपुर।
बरसाना बृहत्सानु या ब्रह्मसानु नामक एक पहाड की ढाल पर स्थित है।
इस पहाड की ऊंचाई लगभग २०० फुट है।
बृहत्सानु को ब्रह्मा जी का स्वरूप मानते हैं।
इसी प्रकार गोवर्धन को भगवान विष्णु का और नंदगांव के पहाड को शंकर जी का स्वरूप मानते हैं।
बृहत्सानु के चार शिखर हैं।
इन्हें ब्रह्मा जी के चार मुख मानते हैं।
इन चार शिखरों के नाम थे- मोरकुटी, मानगढ, विलासगढ, और दानगढ।
मोरकुटी में श्रीकृष्ण ने मोर बनकर राधाकिशोरी जी को आकर्षित करने के लिए नाचा था।
मानगढ में भगवान ने राधारानी को मनाया था।
विलासगढ राधारानी का विलासगृह था।
दानगढ कन्हैया की दानलीला का स्थान है।
यहीं पर श्यामसुंदर और उनके दोस्तों ने राधारानी और उनकी सखियों का माखन चोरी करके खाया करते थे।
बृहत्सानु के पास एक और पहाडी है।
ये दोनों जहां मिलते हैं वहां एक छोटी सी घाटी है।
यहीं श्रीकृष्ण ने गोपियों को घेरा था।
पहाड के ऊपर श्रीलाडली जी का प्राचीन और विशाल मंदिर है।
इसका पुनर्निर्माण सेठ हरगुलाल जी बेरीवाले ने किया था।
पहाड के नीचे मुख्य रूप से दो मंदिर हैं।
राधारानी की आठ सखियां थी - ललिता, विशाखा, चित्रा, इन्दुलेखा, चंपकलता, रंगदेवी, तुंगविद्या और सुदेवी।
इनका एक मंदिर और दूसरा वृषभानु जी का।
इनके अलावा कुशल बिहारी जी का मंदिर, कीर्ति मंदिर, और अन्य कई मंदिर हैं।
भानुपुष्कर या भानोखर नामक तालाब को वृषभानु जी ने ही बनाया था।
भानोखर के किनारे एक जलमहल है।
राधारानी की माता थी श्रीकीर्तिदा जी।
कीर्तिकुण्ड तालाब उनके नाम से है।
पीरी पोखर नामक सरोवर में श्रीकिशोरी जी स्नान किया करती थी।
यहां एक और सरोवर है मुक्ताकुण्ड।
यहां राधारानी की जन्मतिथि को मेला लगता है और होली भी खेली जाती है।
बरसाना लट्ठमार होली के लिए प्रसिद्ध है।
धर्म हर प्रामाणिक भारतीय घर की नींव है, जो संस्कृति को आकार देता है और राष्ट्रीय पहचान को परिभाषित करता है। यह जीवन के विशाल वृक्ष की जड़ और तना के रूप में कार्य करता है, जो मानव प्रयास के विभिन्न पहलुओं का प्रतिनिधित्व करने वाली अनेक शाखाओं का समर्थन करता है। इन शाखाओं में प्रमुख हैं दर्शन और कला, जो धार्मिक विश्वासों द्वारा प्रदान की गई पोषण पर फलते-फूलते हैं। यह आध्यात्मिक नींव ज्ञान और सौंदर्य की समृद्ध बुनाई को बढ़ावा देती है, जो एक सामंजस्यपूर्ण अस्तित्व बनाने के लिए एक-दूसरे में घुलमिल जाती है। भारत में, धर्म केवल अनुष्ठानों का एक समूह नहीं है बल्कि एक गहन शक्ति है जो विचार, रचनात्मकता और सामाजिक मूल्यों को प्रभावित करती है। यह रोजमर्रा की जिंदगी के ताने-बाने को बुनता है, यह सुनिश्चित करता है कि भारतीय होने का सार आध्यात्मिकता में निहित रहे, पीढ़ियों के पार चले और सांस्कृतिक धरोहर को सुरक्षित रखे।
ॐ जूँ सः ईँ सौः हँसः सञ्जीवनि सञ्जीवनि मम हृदयग्रन्थिस्थँ प्राणँ कुरु कुरु सोहँ सौः ईँ सः जूँ ॐ ॐ जूँ सः अमृठोँ नमश्शिवाय ।
चोरों से रक्षा प्राप्ति के लिए मंत्र
ॐ ह्रीं नमो भगवति महामाये मम सर्वपशुजनमनश्चक्षुस्तिरस्....
Click here to know more..दुर्जनः प्रियवादीति
दुर्जनः प्रियवादीति नैतद्विश्वासकारणम् । मधु तिष्ठति....
Click here to know more..एक श्लोकी शंकर दिग्विजय स्तोत्र
आर्याम्बाजठरे जनिर्द्विजसतीदारिद्र्यनिर्मूलनं सन्या....
Click here to know more..Astrology
Atharva Sheersha
Bhagavad Gita
Bhagavatam
Bharat Matha
Devi
Devi Mahatmyam
Festivals
Ganapathy
Glory of Venkatesha
Hanuman
Kathopanishad
Mahabharatam
Mantra Shastra
Mystique
Practical Wisdom
Purana Stories
Radhe Radhe
Ramayana
Rare Topics
Rituals
Rudram Explained
Sages and Saints
Shani Mahatmya
Shiva
Spiritual books
Sri Suktam
Story of Sri Yantra
Temples
Vedas
Vishnu Sahasranama
Yoga Vasishta
आध्यात्मिक ग्रन्थ
कठोपनिषद
गणेश अथर्व शीर्ष
गौ माता की महिमा
जय श्रीराम
जय हिंद
ज्योतिष
देवी भागवत
पुराण कथा
बच्चों के लिए
भगवद्गीता
भजन एवं आरती
भागवत
मंदिर
महाभारत
योग
राधे राधे
विभिन्न विषय
व्रत एवं त्योहार
शनि माहात्म्य
शिव पुराण
श्राद्ध और परलोक
श्रीयंत्र की कहानी
संत वाणी
सदाचार
सुभाषित
हनुमान