स्वभावो नोपदेशेन

स्वभावो नोपदेशेन शक्यते कर्तुमन्यथा ।
सुतप्तमपि पानीयं पुनर्गच्छति शीतताम् ॥

 

किसी के स्वभाव को समझाकर बदला नहीं जा सकता।
पानी को जितना भी उबाल लो​, वह वापस ठंडा हो ही जाता है।

 

Copyright © 2023 | Vedadhara | All Rights Reserved. | Designed & Developed by Claps and Whistles
| | | | |