धिगर्थाः कष्टसंश्रयाः

अर्थानामर्जने दुःखमर्जितानां च रक्षणे |
आये दुःखं व्यये दुःखं धिगर्थाः कष्टसंश्रयाः ||

 

धन कमाने के लिए परिश्रम करना पडता है और उस से दुख उत्पन्न होता है | फिर कमाए हुए धन को बचाने के लिए दुःख होता है | जब धन कमाना होता है तब भी दुख ही होता है और जब धन का व्यय हो जाता है तब भी दुख ही होता है | यह धन ही दुख का आधार है |

 

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