Special - Saraswati Homa during Navaratri - 10, October

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दुर्गा सप्तशती - उत्तर न्यास

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आध्यात्मिक समर्पण और सांसारिक रिश्तों में संतुलन

अपने आध्यात्मिक समर्पण और सांसारिक रिश्तों में संतुलन बनाए रखें। हर दिन प्रार्थना और ध्यान के लिए समय निकालें ताकि आपकी भगवान से जुड़ाव मजबूत हो सके, साथ ही अपने परिवार की जिम्मेदारियों को प्रेम और करुणा के साथ निभाएं। समझें कि दोनों पहलू महत्वपूर्ण हैं—आपकी आध्यात्मिक प्रथाएं आंतरिक शांति और मार्गदर्शन प्रदान करती हैं, जबकि आपके रिश्ते निस्वार्थता और देखभाल व्यक्त करने के अवसर देते हैं। दोनों का सम्मान करके, आप एक पूर्ण जीवन जी सकते हैं जो आपकी आत्मा और प्रियजनों के साथ आपके संबंधों को पोषित करता है।

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग कौन से राज्य में स्थित है?

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग आन्ध्र प्रदेश के कृष्णा ज़िले में कृष्णा नदी के तट पर श्रीशैल पर्वत पर स्थित है।

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यज्ञ की पत्नी कौन है ?

अथोत्तरन्यासाः । ॐ ह्रीं हृदयाय नमः । ॐ चं शिरसे स्वाहा । ॐ डिं शिखायै वषट् । ॐ कां कवचाय हुम् । ॐ यैं नेत्रत्रयाय वौषट् । ॐ ह्रीं चण्डिकायै अस्त्राय फट् । ॐ खड्गिणी शूलिनी घोरा गदिनी चक्रिणी तथा । शङ्खिनी चापिनी बाणभुशुण....

अथोत्तरन्यासाः ।
ॐ ह्रीं हृदयाय नमः । ॐ चं शिरसे स्वाहा । ॐ डिं शिखायै वषट् । ॐ कां कवचाय हुम् । ॐ यैं नेत्रत्रयाय वौषट् । ॐ ह्रीं चण्डिकायै अस्त्राय फट् ।
ॐ खड्गिणी शूलिनी घोरा गदिनी चक्रिणी तथा ।
शङ्खिनी चापिनी बाणभुशुण्डीपरिघायुधा ।
हृदयाय नमः ।
ॐ शूलेन पाहि नो देवि पाहि खड्गेन चाम्बिके ।
घण्टास्वनेन नः पाहि चापज्यानिःस्वनेन च ।
शिरसे स्वाहा ।
ॐ प्राच्यां रक्ष प्रतीच्यां च चण्डिके रक्ष दक्षिणे ।
भ्रामणेनात्मशूलस्य उत्तरस्यां तथेश्वरी ।
शिखायै वषट् ।
ॐ सौम्यानि यानि रूपाणि त्रैलोक्ये विचरन्ति ते ।
यानि चात्यन्तघोराणि तै रक्षास्मांस्तथा भुवम् ।
कवचाय हुम् ।
ॐ खड्गशूलगदादीनि यानि चास्त्राणि तेऽम्बिके ।
करपल्लवसङ्गीनि तैरस्मान् रक्ष सर्वतः ।
नेत्रत्रयाय वौषट् ।
ॐ सर्वस्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्तिसमन्विते ।
भयेभ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवि नमोऽस्तु ते ।
अस्त्राय फट् ।
भूर्भुवःसुवरोमिति दिग्विमोकः ।
ध्यानम् ।
विद्युद्दामसमप्रभां मृगपतिस्कन्धस्थितां भीषणां
कन्याभिः करवालखेटविलसद्धस्ताभिरासेविताम् ।
हस्तैश्चापदरालिखेटविशिखांश्चापं गुणं तर्जनीं
बिभ्राणामनलात्मिकां शशिधरां दुर्गां त्रिनेत्रां भजे ।

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