Pratyangira Homa for protection - 16, December

Pray for Pratyangira Devi's protection from black magic, enemies, evil eye, and negative energies by participating in this Homa.

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इस प्रवचन से जानिए- १. श्री कृष्ण कैसे गायों को चराते थे २. ब्रजवासी और उनकी गाय ३. गौ पूजा और संतान प्राप्ति

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आपकी मेहनत से सनातन धर्म आगे बढ़ रहा है -प्रसून चौरसिया

गुरुजी की शास्त्रों पर अधिकारिकता उल्लेखनीय है, धन्यवाद 🌟 -Tanya Sharma

सनातन धर्म के भविष्य के लिए वेदधारा के नेक कार्य से जुड़कर खुशी महसूस हो रही है -शशांक सिंह

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गौ पूजन मंत्र क्या है?

ॐ सुरभ्यै नमः

गौ माता की पूजा करने से क्या लाभ है?

गौ माता की पूजा सारे ३३ करोड देवताओं की पूजा के समान है। गौ पुजा करने से आयु, यश, स्वास्थ्य, धन-संपत्ति, घर, जमीन, प्रतिष्ठा, परलोक में सुख इत्यादियों की प्राप्ति होती है। गौ पूजा संतान प्राप्ति के लिए विशेष फलदायक है।

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कामधेनु का अर्थ क्या है?

जब भी श्रीकृष्ण भगवान का स्मरण करते हैं तो गायें जरूर मन में आती हैं। श्रीकृष्ण और बलराम जी का गाय चराने का वर्णन गर्ग संहिता में मिलता है। अग्रे पृष्ठे तथा गावश्चरन्त्यः पार्श्वयोर्द्वयोः। श्रीकृष्णस्य बलस्य....


जब भी श्रीकृष्ण भगवान का स्मरण करते हैं तो गायें जरूर मन में आती हैं।

श्रीकृष्ण और बलराम जी का गाय चराने का वर्णन गर्ग संहिता में मिलता है।

अग्रे पृष्ठे तथा गावश्चरन्त्यः पार्श्वयोर्द्वयोः।
श्रीकृष्णस्य बलस्यापि पश्यन्त्यः सुन्दरं मुखम्।

दोनों के आगे, पीछे, दाएं तरफ, बाएं तरफ, गाय ही गाय हैं।

और वे सब बार बार उन दोनों के सुन्दर चेहरों को देखा करती हैं।

और गाय भी कैसी गाय ?

घण्टामञ्जीरशङ्कारं कुर्वन्त्यस्ता इतस्ततः।
किङ्किणीजालसंयुक्ता हेममालालसद्गलाः।

घंटी और घुंघरू की आवाज निकालती हुई, गले में सोने की मालाएं पहनी हुई, माला साधारण नहीं सोने की हैं।

ऐसे पालते थे हमारी गायों को अपने पूर्वज।

मुक्तागुच्छैर्बर्हिपिच्छैर्लसत्पुच्छाच्छकेसराः।
स्फुरतां नवरत्नानां मालाजालैर्विराजिताः।

मोती का गुच्छा और मोर पंख से सजाई हुई पूंछ; पूंछ के बाल को सजाते हैं नवरत्न के हार, ऐसे चमकती थी हमारी गौ माताओं की पूंछ।

शृङ्गयोरन्तरे राजन् शिरोमणिमनोहराः।
हेमरश्मिप्रभास्फूर्जत्शृङ्गपार्श्वप्रवेष्टनाः।

सींगों के बीच चमकता हुआ मणि और सींगों के ऊपर सोने का आवरण।

यह सजावट कोई श्रेष्ठ नारी से कम दिखता है?

जिसे अपनी माताएं, स्त्रियां और कन्यायें पहना करती हैं वैसे आभूषण देते हैं ब्रजवासी अपनी गायों को।

आरक्ततिलकाः- लाल रंग की टीका लगाई हुई।

कितनी गायें? दस नहीं, सौ नहीं; कोटिशो गावश्चरन्त्यः कृष्णपार्श्वयोः।

करोड़ों की संख्या में रहती थीं गाय, श्रीकृष्ण के साथ।

ब्रजवासियों को कभी नहीं लगा कि इतनी सारी गाय बूढी हो जाएंगी तो उनको खिलाएगा कौन?

वे सब दूध देना बंद कर देंगी तो उनको रखकर क्या फायदा?

उनके लिए गाय माता थी।

माता के बारे मे फायदे नुकसान के हिसाब से कोई सोच सकता है?

गोलोक की उत्पत्ति का वर्णन करते वक्त बताया गया है:

श्रीकृष्णमनसो गावो वृषा धर्मधुरन्धराः- भगवान श्रीकृष्ण का मन हमेशा गाय और बैल के साथ था।

बैल को धर्म का प्रतीक बताया है।

पद्म पुराण पाताल खंड मे ऋतंभर जाबालि महर्षि से वंध्यात्व का समाधान पूछते हैं।

महर्षि बताते हैं: संतान प्राप्ति के लिए तीन उपाय हैं- भगवान विष्णु का प्रसाद, भगवान शंकर का प्रसाद या गौ माता का प्रसाद।

अगर गौ माता की पूजा की जाए तो अलग अलग देवताओं की पूजा करने की जरूरत नही है क्योंकि:

यस्याः पुच्छे मुखे शृङ्गे पृष्ठे देवाः प्रतिष्ठिताः।
सा तुष्टा दास्यति क्षिप्रं वाञ्छितं धर्मसंयुतम् ।

गाय की पूंछ में, मुह में, सींग में, सभी जगह देवता ही देवता हैं।

गौ माता संतुष्ट हो जाती है तो सारी मनोकामनाओं को तुरंत ही दे देती है।

जो नित्य गौ पूजन करेगा उस के लिए अप्राप्य कुछ भी नहीं है।

सारे देव और पितृ लोग उससे खुश रहते हैं।

जो गाय को रोज खिलाएगा उसे सब कुछ मिल जाता है।

अगर किसी के घर में गाय प्यासी हो तो उसकी सारी समृद्धि समाप्त हो जाती है।

घास खाने वाली गाय को रोकने का अधिकार किसी को नहीं है भले वह दूसरे की गाय हो और तुम्हारी जगह पर आ गई हो।

अगर ऐसा किया तो उस के पूर्वज लोग पितृ लोक में कांप कांप कर गिर पड़ते हैं।

यो वै गां प्रतिषिध्येत चरन्तीं स्वं तृणं नरः।
तस्य पूर्वे च पितरः कंपन्ते पतनोन्मुखाः ।

कोई साधारण जानवर नही है गाय।

तुम ने खरीद लिया तो ऐसा मतलब नहीं है कि वह तुम्हारी हो गयी।

देवता है गौ माता।

गौ माता का कोई स्वामी, मालिक नहीं है।

गौ माता को किसी ने रोका तो कांपते हैं उस के पूर्वज, पितर लोग।

गाय को डंडे मारने वाले के हाथ काटे जाएंगे यमलोक में।

यो वै यष्ट्या ताडयति धेनुं मर्त्यो विमूढधीः।
धर्मराजस्य नगरं स याति करवर्जितः ।

मर्त्यो विमूढधीः -बेवकूफ आदमी ही ऐसा काम करेगा, कहता है पद्मपुराण।

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गौ माता की महिमा

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